संयुक्त राष्ट्र विकास रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि 1980-2016 के बीच भारत में एक आर्थिक रूप से प्रभुत्व वाले वर्ग का उदय हुआ है, जो 1 प्रतिशत हैं, पर जिनके पास 27 प्रतिशत आय है।
रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आर्थिक मंदी की बात करते हुए मोदी सरकार पर ज़ोरदार हमला किया और कहा कि इसके लिए ख़ुद मोदी और उनका कार्यालय ज़िम्मेदार है।
बहुत जल्द ही आर्थिक मंदी देश के शासन में राजनैतिक लड़ाई का रूप लेने जा रही है। मंदी से राजस्व वसूली में आई गिरावट के बाद केंद्र ने राज्यों की हिस्सेदारी में कटौती शुरू कर दी है।
सरकारी एजेन्सी सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (सीएसओ) ने बीते दिनों इस साल की दूसरी छमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत कर दी थी। अब आरबीआई ने इसका अनुमान 5 प्रतिशत लगाया है।
सरकार जो 4.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्ध दर के दावे कर रही है, वह भी खोखला है, क्योंकि इसका बड़ा हिस्सा जिस निजी क्षेत्र से आता है, उसकी विकास दर 3.05 प्रतिशत ही है।
देश की आर्थिक स्थिति का हाल इतना बुरा हो चुका है कि अब सरकारी रियायतों और सुधारों का भी असर नहीं पड़ रहा है। ऑटो उद्योग को सरकारी छूट देने के बावजूद बिक्री गिरना जारी है।