आज पूरे वातावरण में कोरोना वायरस का खौफ फैला हुआ है। आर्थिक मोर्चों पर लिए गए या लिए जा रहे निर्णय भी कभी निराशा तो कभी आशा के झूले में झुलाते रहते हैं। इस बीच 1 अप्रैल को बैंकों का मर्जर भी संपन्न हो गया। इससे क्या बदलेगा?
कोरोना से मुक़ाबले की लड़ाई में अब रिज़र्व बैंक भी उतर आया है। सरकार ने ग़रीबों के लिए एलान किए तो अब रिज़र्व बैंक के फ़ैसले से मध्य वर्ग के एक हिस्से और व्यापारी वर्ग को कुछ राहत मिलेगी।
कोरोना वायरस के खौफ़ और पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति के बीच शेयर बाज़ार में भी ज़बरदस्त खौफ दिखा। सुबह दस बजने से कुछ मिनट पहले ही सेंसेक्स में 2991.85 फ़ीसदी यानी 10 फ़ीसदी की गिरावट आ गई और सर्किट ब्रेकर लगाना पड़ा।
दुनिया के दो बड़े इन्वेस्टमेंट बैंकर्स मॉर्गन स्टैनली और गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि कोरोना वायरस के डर से कामकाज पर जो असर पड़ रहा है, वह दुनिया को मंदी की ओर धकेल रहा है।
शेयर बाज़ार ने बुधवार को फिर गोता लगाया है। सेंसेक्स 1710 अंक गिरकर 28 हज़ार 800 पर पहुँच गया है। निफ़्टी में भी भी क़रीब 500 अंकों की गिरावट आई है। पिछले पाँच दिन में सेंसेक्स में पाँच हज़ार अंकों की की गिरावट आ चुकी है।