स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, 23 जुलाई को बजट की घोषणा के समय एफपीआई ने 2,975 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची और फिर 24 जुलाई को 5,130 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची। और फिर गुरुवार को 2,605 करोड़ रुपये मार्केट से निकाले। ये आंकड़े बहुत कुछ कहते हैं, जानिएः
केंद्र सरकार के बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी-एनडीए की दस साल पुरानी सरकार पर विपक्ष के अधिकतर आरोपों की पुष्टि कर दी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार 23 जुलाई को संसद में केंद्रीय बजट पेश किया। बजट से जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाओं को यहां लगातार अपडेट किया जा चुका है। तमाम घोषणाओं पर अलग से विस्तृत रिपोर्ट भी सत्य हिन्दी पर मौजूद है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मध्यम वर्ग के करदाता राहत की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन निर्मला पर राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने का भी दबाव है। ऐसे में बजट क्या लेकर आता है, यह देखना हैः
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार 22 जुलाई को देश की आर्थिक तस्वीर पेश कर दी है। आर्थिक सर्वे में जीडीपी ग्रोथ 6.5 से लेकर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। यही आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी दिया था। लेकिन आर्थिक सर्वे से महंगाई की हालत चिन्ताजनक लग रही है। बल्कि यह बताया गया है कि किस तरह पिछले दो वर्षों में आपकी खाने की थाली का खर्च दोगुणा हो गया। जानिए आर्थिक सर्वे की खास बातेंः
केंद्रीय बजट फिर आ रहा है। लेकिन यह मोदी सरकार के पिछले बजटों की तरह ही होगा या फिर इसमें बेरोजगारी से लड़ने की उम्मीद रखी जाए। रोजगार एक ऐसा मुद्दा है, जिससे बजट बनाने और पेश करने वाले डील नहीं करना चाहते। हर बार यह मुद्दा अछूता रहता है। वरिष्ठ पत्रकार अनन्त मित्तल की टिप्पणीः
अगले कुछ महीने में तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले क्या बजट में बेरोजगारी के आँकड़ों पर ध्यान रखा जाएगा? जानिए, बजट के लिए क्या-क्या चुनौतियाँ हैं।
अगर आप अभी भी अखबार पढ़ते होंगे और टीवी देखते होंगे तो आपको अंदाजा होगा कि बजट 2024 का कोई शोर नहीं है। बजट कैसा भी हो सरकार हेडलाइन मैनजमेंट में सक्षम है, उसे अच्छा ही कहा जायेगा। इसलिए, बजट अच्छा हो इसकी जरूरत ही नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह बता रहे हैं बजट का गणितः
क्या लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और इसका असर शेयर बाज़ार पर पड़ रहा है? क्या चुनाव की अनिश्चितता का भय शेयर बाज़ार को लग रहा है?