क्या चीनी कंपनियाँ भारत से अपना निवेश निकाल कर दक्षिण पूर्व एशिया के दूसरे देशों में लगा सकती हैं? क्या वे भारत के बाज़ार का विकल्प तलाशने का काम शुरू कर सकती हैं?
लॉकडाउन, प्रवासी मज़दूरों का अपने गृह राज्यों के लिए पलायन और बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरी जाने के बीच अर्थव्यवस्था के बहुत ही धीमी गति से ही सही, पर पटरी पर लौटने के संकेत मिल रहे हैं।
छोटे व्यापार के लिए केंद्र सरकार ने जो क़र्ज़ के पैकेज की घोषणा की है उसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़े संगठन को ही गड़बड़ियाँ दिखने लगी हैं।
अप्रैल में देश के सभी 8 कोर सेक्टर का आउटपुट रिकॉर्ड 38.1 फ़ीसदी गिरा है। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन की कोर सेक्टर पर करारी मार पड़ी है।