भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां ही नहीं, घरेलू एजेन्सियां भी चिंता जता चुकी हैं। लगभग सबका मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था दिन बन दिन बद से बदतर होती जा रही है।
सु्प्रीम कोर्ट ने बैंक से लिए गए क़र्ज़ के भुगतान न करने की छूट की मियाद बढ़ा कर सितंबर तक कर दी है। पहले यह अगस्त तक थी। इसका मतलब यह हुआ कि आप चाहें तो सितंबर तक बैंक को किश्त यानी ईएमआई न चुकाएं।
भविष्य निधि यनी प्रॉविडेंट फंड (पीएफ़) में निवेश करने वालों के लिए बुरी ख़बर है। उन्हें ब्याज की पूरी रकम एक बार में नहीं मिलेगी। वह इसका 8.15 प्रतिशत तो अभी दे देगी, पर बाकी का 0.35 प्रतिशत दिसंबर के अंत तक देगी।
अंतरराष्ट्रीय रेटिेंग एजेन्सी फ़िच रेटिंग्स ने पहले कहा था कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की जीडीपी शून्य से 5 प्रतिशत नीचे चली जाएगी, अब इसका कहना है कि यह शून्य से 10.5 प्रतिशत नीचे जाएगी।
निर्मला सीतारमण के पति ने उनकी तीखी आलोचना की है और ये कहा है कि अब तो भगवान के नाम पर कुछ कदम उठा ले । उनके पति परकाल प्रभाकर ने ट्वीट कर अपनी पत्नी के बयान पर अपनी नाराज़गी जताई है ।
सरकार की ओर से दिए ऑडिट स्टेटमेंट के अनुसार सिर्फ 5 दिन में इस कोष में 3,076 करोड़ रुपए जमा कराए गए। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इस पर पूछा है कि इन उदार दानदाताओं के नाम क्यों नहीं उजागर किए जा रहे हैं।
पिछली तिमाही में भारत की जीडीपी विकास दर -23.9 रही है। रिपोर्ट है कि अगली तिमाही में भी यह नकारात्मक रहेगी। यानी 40 साल में पहली बार भारत आर्थिक मंदी की चपेट में जा चुका होगा।
चार गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने बगाव़त करते हुए केंद्र सरकार से साफ़ शब्दों में कहा है कि उसके पास पैसे नहीं है तो वह बाज़ार से क़र्ज़ लेकर उन्हें पैसे दे, पर उन्हें हर हाल में पैसे चाहिए।
सबसे तेज़ वृद्धि दर वाली जीडीपी कुछ ही वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है। विकासशील देशों पर या जी-7 देशों पर नज़र डाली जाए तो साफ दिखता है कि -23.9 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ यह स्पेन से भी नीचे जा चुका है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के आँकड़े बता रहे हैं कि कभी सबसे तेज़ी से तरक्क़ी कर रही अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होने वाला भारत अब दुनिया की सबसे तेज़ी से नीचे गिर रही अर्थव्यवस्था बन गया है।