अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने अपने अनुमान में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था और ज़्यादा सिकुड़ेगी। इसका अनुमान है कि मार्च 2021 में ख़त्म होने वाले इस वित्त वर्ष में जीडीपी 10.3 फ़ीसदी सिकुड़ जाएगी।
बीजेपी और ग़ैर-बीजेपी राज्य जीएसटी के मुद्दे पर अलग-अलग रुख अपना रहे हैं। ग़ैर बीजेपी राज्य केंद्र को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं, तो केंद्र सरकार अपने पहले के स्टैंड से टस से मस नहीं हो रही है।
बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार माँग और खपत बढ़ाने की कोशिश कर रही है। दो महत्वपूर्ण फ़ैसले किए गए हैं- लीव ट्रैवल कनसेशन के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को नकद वाउचर दिए जाएंगे और त्योहार के पहले नकद एडवांस दिया जाएगा।
रिज़र्व बैंक यानी आरबीआई ने भारत की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर -9.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया है। यानी सीधे तौर पर कहें तो भारत की अर्थव्यवस्था इतनी सिकुड़ेगी।
देश के आर्थिक विमर्श में इन दिनों नई हरी पत्तियों की चर्चा अचानक ही शुरू हो गई है। सितंबर महीने के जो आँकड़ें हैं वे भले ही कोई बड़ी उम्मीद न बंधी रही हो, राहत तो दे ही रहे हैं।
गूगल, एप्पल, फ़ेसबुक और एमेजॉन जैसी बड़ी और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनियों का बाज़ार पर एकाधिकार जल्द ही ख़त्म हो सकता है। यह भी हो सकता है कि इन कंपनियों को छोटी-छोटी कंपनियों में बाँट दिया जाए।
कोरोना लॉकडाउन में आम आदमी की आमदनी बेतहाशा घट गई लेकिन मुकेश अंबानी पिछले 6 महीने से हर घंटे 90 करोड़ रुपए कमा रहे हैं। यह जानकारी हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2020 में सामने आई है।
बेहद ग़रीबी से चलकर लाखों-करोड़ों रुपये का साम्राज्य खड़ा करने वाले धीरूभाई अंबानी के बड़े बेटे मुकेश की संपत्ति बढ़ती जा रही है लेकिन दूसरे बेटे अनिल की माली हालत और बिगड़ रही है।
विपक्ष की अनुपस्थिति में केंद्र सरकार ने सितंबर महीने में लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी आखिरी कृषि विधेयक पारित करा लिया था और फिर बाद में राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ यह क़ानून भी बन गया। लेकिन किसानों का प्रदर्शन जारी है।
क्या सरकार कृषि विधेयकों पर किसानों के गुस्से से डर गई है? या उसे अपने ही मंत्रिमंडल के एक सहयोगी के इस्तीफ़े ने हिला दिया है? कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रबी के फसल की कई उपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा की है।
विपक्ष के ज़ोरदार विरोध और सरकार के मंत्री के इस्तीफ़े के बीच किसानों से जुड़े दो विधेयक लोकसभा के बाद रविवार को राज्यसभा में भी पारित हो गए। पर सवाल यह उठता है कि आख़िर किसान इन बिलों का इस तरह विरोध क्यों कर रहे हैं।
क्या केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक बिहार में होने वाले चुनाव को ध्यान में रख कर लगाई है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि प्याज की कीमत खुदरा बाज़ार में 30-35 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुँचने के बाद सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी