शेयर मार्केट को लेकर अगर देश का जाना-माना उद्योगपति चेतावनी दे तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने शेयर मार्केट के दलाल हर्षद मेहता के समय की याद दिलाते हुए कहा कि छोटे निवेशक डूब सकते हैं। गोयनका ने सरकार से हस्तक्षेप के लिए कहा है। पूरी जानकारी यहां से लीजिएः
देश के प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अडाणी की 6 कंपनियों को सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया या सेबी ने कारण बताओ नोटिस भेजा है। सेबी ने लिस्टिंग एग्रीमेंट और डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट से जुड़े नियामों का उल्लंघन करने पर ये नोटिस भेजे हैं।
5 ट्रलियिन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 'विश्व गुरु' बनने का सपना देखते-देखते कहीं लोग कर्ज के जाल में डूब न जाएं? जानिए, कर्ज की ताज़ा रिपोर्ट से क्या संकेत मिलते हैं।
पिछले साल उठा अडानी हिंडनबर्ग का तूफान अभी भी मंद क्यों नहीं पड़ रहा है? आख़िर एक के बाद एक रिपोर्टों में क्यों निवेश के नियमों के उल्लंघन की रिपोर्टें आ रही हैं। जानिए, सेबी की ताज़ा जाँच में क्या सामने आया।
ईरान-इज़राइल संघर्ष बढ़ने की आशंका का असर भारत पर अभी से दिखने लगा है। तो क्या अधिकतर तेल ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहने वाले भारत के लिए स्थिति ख़राब होगी?
बात-बात पर चीनी सामानों का बहिष्कार क्या फैशन है? आख़िर जिस चीन को लाल आँख दिखाने की बात होती है और चीन में बने सामान का बहिष्कार किया जाता है, वहीं से आयात क्यों बढ़ गया?
क्या आपको पता है कि जनगणना जैसा अहम काम भी क्यों रोका गया है जिसे विश्वयुद्ध और कई तरह की महामारी में भी नहीं रोका गया था? अब अर्थव्यवस्था से लेकर रोजगार तक के आँकड़े क्या संकेत देते हैं?
पाँच ट्रिलियन इकोनमी के सपने देख रहे लोगों को रोजगार के मोर्चे पर झटका लग सकता है। क्या जिस देश की सबसे ज़्यादा युवा बेरोजगार हों, वहाँ चिंता की बात होनी चाहिए? जानिए, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने भारत को लेकर क्या कहा है।
देश में असमानता किस कदर है और यह बढ़ रहा है, उसकी ताज़ा रिपोर्ट वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब द्वारा प्रकाशित एक वर्किंग पेपर में सामने आया है। क्या आपको पता है सबसे अमीर 1 फीसदी के पास कितना हिस्सा जा रहा है?
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की शानदार वृद्धि के पीछे क्या है प्रमुख वजहें। जानिए, किन क्षेत्रों की वृद्धि को प्रमुख कारण माना गया है।
मोदी सरकार श्वेतपत्र यूपीए सरकार पर ले आई तो कांग्रेस ने ब्लैकपेपर पेश किया। आख़िर इनके मायने क्या थे और क्या सच में किसके शासन में अर्थव्यवस्था ठीक रही?
लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के इस अंतरिम बजट पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि इस बजट में खुद की तारीफ़ के अलावा कुछ भी नहीं है। जानिए उन्होंने क्या क्या कहा।