वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार 23 जुलाई को संसद में केंद्रीय बजट पेश किया। बजट से जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाओं को यहां लगातार अपडेट किया जा चुका है। तमाम घोषणाओं पर अलग से विस्तृत रिपोर्ट भी सत्य हिन्दी पर मौजूद है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मध्यम वर्ग के करदाता राहत की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन निर्मला पर राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने का भी दबाव है। ऐसे में बजट क्या लेकर आता है, यह देखना हैः
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार 22 जुलाई को देश की आर्थिक तस्वीर पेश कर दी है। आर्थिक सर्वे में जीडीपी ग्रोथ 6.5 से लेकर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। यही आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी दिया था। लेकिन आर्थिक सर्वे से महंगाई की हालत चिन्ताजनक लग रही है। बल्कि यह बताया गया है कि किस तरह पिछले दो वर्षों में आपकी खाने की थाली का खर्च दोगुणा हो गया। जानिए आर्थिक सर्वे की खास बातेंः
केंद्रीय बजट फिर आ रहा है। लेकिन यह मोदी सरकार के पिछले बजटों की तरह ही होगा या फिर इसमें बेरोजगारी से लड़ने की उम्मीद रखी जाए। रोजगार एक ऐसा मुद्दा है, जिससे बजट बनाने और पेश करने वाले डील नहीं करना चाहते। हर बार यह मुद्दा अछूता रहता है। वरिष्ठ पत्रकार अनन्त मित्तल की टिप्पणीः
अगले कुछ महीने में तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले क्या बजट में बेरोजगारी के आँकड़ों पर ध्यान रखा जाएगा? जानिए, बजट के लिए क्या-क्या चुनौतियाँ हैं।
अगर आप अभी भी अखबार पढ़ते होंगे और टीवी देखते होंगे तो आपको अंदाजा होगा कि बजट 2024 का कोई शोर नहीं है। बजट कैसा भी हो सरकार हेडलाइन मैनजमेंट में सक्षम है, उसे अच्छा ही कहा जायेगा। इसलिए, बजट अच्छा हो इसकी जरूरत ही नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह बता रहे हैं बजट का गणितः
क्या लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और इसका असर शेयर बाज़ार पर पड़ रहा है? क्या चुनाव की अनिश्चितता का भय शेयर बाज़ार को लग रहा है?
शेयर मार्केट को लेकर अगर देश का जाना-माना उद्योगपति चेतावनी दे तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने शेयर मार्केट के दलाल हर्षद मेहता के समय की याद दिलाते हुए कहा कि छोटे निवेशक डूब सकते हैं। गोयनका ने सरकार से हस्तक्षेप के लिए कहा है। पूरी जानकारी यहां से लीजिएः
देश के प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अडाणी की 6 कंपनियों को सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया या सेबी ने कारण बताओ नोटिस भेजा है। सेबी ने लिस्टिंग एग्रीमेंट और डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट से जुड़े नियामों का उल्लंघन करने पर ये नोटिस भेजे हैं।
5 ट्रलियिन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 'विश्व गुरु' बनने का सपना देखते-देखते कहीं लोग कर्ज के जाल में डूब न जाएं? जानिए, कर्ज की ताज़ा रिपोर्ट से क्या संकेत मिलते हैं।
पिछले साल उठा अडानी हिंडनबर्ग का तूफान अभी भी मंद क्यों नहीं पड़ रहा है? आख़िर एक के बाद एक रिपोर्टों में क्यों निवेश के नियमों के उल्लंघन की रिपोर्टें आ रही हैं। जानिए, सेबी की ताज़ा जाँच में क्या सामने आया।
ईरान-इज़राइल संघर्ष बढ़ने की आशंका का असर भारत पर अभी से दिखने लगा है। तो क्या अधिकतर तेल ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहने वाले भारत के लिए स्थिति ख़राब होगी?