क्या दुनिया में जिस आर्थिक मंदी की आशंका जताई जा रही है, उसका संकेत अब आईएमएएफ़ ने भी दे दिया है? जानिए, इसने दुनिया भर के देशों और भारत का विकास दर अनुमान क्यों घटाया।
अमेरिका, ब्रिटेन, चीन सहित दुनिया भर में आर्थिक हालात बेहद ख़राब होने के संकेत मिल रहे हैं तो क्या भारत इससे बच बाएगा? यदि भारत को इससे मुकाबला करना है तो इसे क्या करने की ज़रूरत है?
क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक हालात के ख़राब होने का असर भारत की विकास दर पर काफ़ी ज़्यादा पड़ेगा? जानिए, विश्व बैंक ने क्यों विकास दर अनुमान को क्यों घटाया।
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के पहले साल में यानी 2020 में कितने लोग ग़रीबी में धकेल दिए गए, इस पर अब एक पुख्ता रिपोर्ट सामने आई है। जानिए, इससे कितने लोग प्रभावित हुए।
अमेरिका, ब्रिटेन, चीन सहित दुनिया भर में आर्थिक हालात बेहद ख़राब होने के संकेत मिल रहे हैं तो क्या भारत इससे बच बाएगा? यदि भारत को इससे मुकाबला करना है तो इसे क्या करने की ज़रूरत है?
आरबीआई ने बीते कुछ महीनों में लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। रेपो रेट के बढ़ने से घर की ईएमआई यानी होम लोन, गाड़ियों के लिए लिए गए लोन और पर्सनल लोन भी महंगे हो जाएंगे।
दुनिया भर के देशों के सामने आ रहे आर्थिक संकट के बीच अब भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर आख़िर चिंताएँ क्यों उठने लगी हैं? क्या विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ रहा है इसलिए?
कई देश पहले से ही आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं तो क्या अब आगे और भी बुरे दौर बाक़ी हैं? 2008 की आर्थिक मंदी की सटीक भविष्यवाणी करने वाले अर्थशास्त्री से जानिए, क्या होंगे हालात।
वित्त मंत्री और सरकार के लोग चाहे जो दावे करें विदेश व्यापार का बढ़ता आकार और उससे भी ज्यादा तेजी से बढ़ता घाटा अर्थशास्त्र के सारे जानकारों को चिंतित किए हुए है।
भारत दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। कुछ महीने पहले तो यह छठे पायदान पर था, लेकिन क्या आपको पता है कि आज़ादी के तुरंत बाद यानी 1950 में भी भारत की अर्थव्यवस्था छठे पायदान पर ही थी? तो इन दशकों में क्या बदला?
क्या भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है? आख़िर इस वित्त वर्ष में जीडीपी के तेज़ गति से बढ़ने के मायने क्या हैं? जितनी उम्मीद थी उतनी तेज़ गति से जीडीपी क्यों नहीं बढ़ा?