केंद्र सरकार ने 14 सितबंर को प्याज के निर्यात पर रोक लगाने का एलान किया। उस दिन खुदरा बाज़ार में प्याज की कीमत लगभग 30-35 रुपए प्रति किलोग्राम थी। प्याज की कीमत हर साल सितंबर में बढ़नी शुरू होती है क्योंकि तब तक उसका स्टॉक ख़त्म होने लगता है और लोग अगले सीजन के आवक का इंतजार करने लगते हैं।
बांग्लादेश ने किया विरोध
यह प्रतिबंध ऐसे समय आया जब मुंबई बंदरगाह पर 70 हज़ार टन प्याज पड़ा हुआ था और जहाज़ों पर उसकी लदाई हो रही थी। इसका नतीजा यह हुआ कि बांग्लादेश को होने वाला प्याज निर्यात भी रुक गया।“
'मैंने अपने रसोई घर में कह दिया कि वे खाना में प्याज न डालें। पर भारत को पहले ही कह देना था कि वह निर्यात नहीं कर सकता, वैसे में हम किसी और से प्याज खरीद लेते।'
शेख हसीना, प्रधानमंत्री, बांग्लादेश
प्याज ने निकाले आँसू
प्याज ने अतीत में राजनेताओं के आंखों से आँसू निकाले हैं और चुनाव में वह बहुत बड़ा मुद्दा बना है। ऐसा एक नहीं कई बार हुआ है।बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया बस शुरू होने ही वाली है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीजेपी नहीं चाहती है कि प्याज की बढ़ी हुई कीमतें चुनावी मुद्दा बन जाए और नीतीश कुमार सरकार को उसका जवाब देना पड़ा। बिहार सरकार में बीजेपी साझेदार है और इसके नेता सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री हैं।
प्याज पर राजनीति
राजद और कांग्रेस के कई विधायक विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान प्याज की माला पहनकर सदन में पहुँच गए थे। विधायकों ने कहा था कि प्याज की कीमत आसमान छू रही है, सरकार की कृषि नीति नाकाम हो गई है।जब प्याज का भाव मुद्दा बन गया तो राज्य सरकार ने मजबूर हो कर अपनी एजंसियों के ज़रिए प्याज बेचने का फ़ैसला किया। उसने बिहार राज्य सहकारी संस्थान बिस्कोमान से 35 रुपये प्रति किलोग्राम प्याज बेचने को कहा था।
नीतीश सरकार ने बेचे प्याज
बिस्कोमान अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए एलान किया कि पटना के सभी बिक्री केंद्रों से 35 रुपये प्रति किलो के दर से प्याज की बिक्री की बिक्री की जाएगी।लिहाजा, इस बार चुनाव के ठीक पहले बीजेपी इस तरह के झमेले में नहीं पड़ना चाहती थी। उसने प्याज के निर्यात पर ही रोक लगा दी।
लेकिन बांग्लादेश के विरोध के बावजूद सरकार के तेवर ढीले पड़े। केंद्र सरकार ने एलान किया कि जो ऑर्डर लिए जा चुके हैं, उनकी सप्लाई कर दी जाएगी।
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