वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए आर्थिक पैकेज के दूसरे हिस्से का एलान करते हुए दावा कि प्रवासी मज़दूरों पर खर्च करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को 11,000 करोड़ रुपए दिए हैं।
उन्होंने दावा किया :
- स्टेट डिजास्टर रिलीफ़ फंड (एसडीआरएफ़) के पैसे का इस्तेमाल कर प्रवासी मज़दूरों के लिए शेल्टर बनाने के लिए राज्य सरकारों से कहा गया।
- प्रवासी मज़दूरों को शेल्टर होम में खाना और पानी भी देने को कहा गया है।
- 15 मार्च, 2020 तक 7,200 नए स्वंय सहायता समूहों (सेल्फ़ हेल्प ग्रुप्स यानी एसएचजी) को आर्थिक मदद दी गई।
- केंद्र की मदद से इन एसएचजी ने 3 करोड़ मास्क और 1.20 लाख लीटर सैनिटाइज़र बनाए, जिनका इस्तेमाल कोरोना से लड़ने में किया जा रहा है।
- सरकार ने प्रवासी मज़दूरों की मदद करने के लिए 13 मई तक 14.62 करोड़ कार्य दिवस का सृजन किया।
- अपने गृह राज्य लौट चुके मजदूरों को अपने गाँव में ही काम मिल सके, इसके लिए ये कार्य दिवस तैयार किए गए।
- 1.87 लाख ग्राम पंचायतों में 2.33 करोड़ लोगों को रोज़गार दिए गए।
खाद्यान्न
- सरकार 5 किलोग्राम गेहूँ और एक किलो चना प्रति व्यक्ति देगी। यह खाद्यान्न अगले दो महीने तक दिया जाएगा। यह उन्हें भी मिलेगा, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है।
- यह केंद्र सरकार देगी, पर राज्य स्तर पर लागू किया जाएगा। यानी, इसे लागू करने की ज़िम्मेदारी राज्यों की होगी।
- इस योजना से कम से कम 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को लाभ होगा।
- इस योजना पर केंद्र सरकार को लगभग 3,500 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
आवास
- केंद्र सरकार प्रवासी मज़दूरों और शहरी ग़रीबों के लिए विशेष आवास योजना शुरू करेगी।
- इसके तहत पीएमएवाई (पीमे) योजना के तहत रेन्टल हाउसिंग स्कीम शुरू की जाएगी।
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत अफर्डबल रेन्टल हाउसिंग कॉमप्लेक्स बनाए जाएंगे।
- राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के संगठनों को भी इस तरह के परिसर बनाने और उनका रख रखाव करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- निजी क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग ईकाइयों, उद्योगों, संस्थानों को इस तरह के आवासीय परिसर बनाने और उनका रखरखाव करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
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