क्लोरोक्वीन का निर्यात
सरकार ने एक आदेश में कहा है, ‘पहले से मिले सभी ऑर्डर के मुताबिक निर्यात किया जाएगा, विदेश मंत्रालय और औषधि विभाग मानवता के आधार पर सभी निर्यात ऑर्डर पर अलग-अलग विचार करेंगे।’क्लोरोक्वीन निर्यात का विरोध क्यों?
सरकार ने टिनिडेज़ोल, मेट्रोनिडेज़ोल, इरीथ्रोमाइसिन सॉल्ट और विटामिन पर लगी रोक भी हटा दी है। पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर लगी रोक हटने का विरोध स्वाभाविक है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका में हुए एक शोध में यह पाया गया है कि इस दवा का इस्तेमाल कोरोना रोगियों पर करने से लाभ हुआ है, हालांकि कुछ दूसरे डॉक्टर इससे इत्तिफाक नहीं रखते।आईसीएमआर ने इसके साथ ही सरकार को यह भी सलाह दी थी कि इस दवा का भंडारण कर लिया जाए क्योंकि कोरोना के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी ख़ुद भारत को इस दवा की ज़रूरत है। ऐसे में इसके निर्यात का विरोध भी हो सकता है!
सरकार की सफ़ाई
विदेश विभाग के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘पैरासेटामॉल और ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लाइसेंस दवा की श्रेणी में ही रहेंगी, उनकी माँग पर लगातार नज़र रखी जाएगी। स्टॉक रहा तो इन दवाओं के निर्यात की इजाज़त दी जा सकती है।’ श्रीवास्तव ने कहा :“
‘महामारी के मानवीय पक्ष को देखते हुए भारत पैरासेटामॉल और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के उचित मात्रा में पड़ोसी देशों को निर्यात की अनुमति दे सकता है, ये देश हमारी क्षमता पर ही निर्भर हैं।’
अनुराग श्रीवास्तव, प्रवक्ता, विदेश विभाग
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