loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
57
एनडीए
23
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
230
एमवीए
51
अन्य
7

चुनाव में दिग्गज

पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व

आगे

चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला

आगे

इस साल बैंकों ने दो लाख करोड़ का क़र्ज़ माफ किया, मोदी सरकार के दौरान 10 लाख करोड़ डूबे

बैंकों ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में दो लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा का क़र्ज़ माफ़ कर दिया है। इनमें से 75 प्रतिशत से अधिक क़र्ज़माफी सरकारी बैंकों ने किया है। 

कोरोना महामारी से आर्थिक बदहाली के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों से छह महीने के लोन मोरेटोरियम यानी उस अवधि तक वसूली रोक देने को कहा था।

इस दौरान बैंकों ने 2,02,781 करोड़ रुपए के क़र्ज़ माफ़ कर दिए। दरअसल बैंकों ने बीते 10 साल में 11,68,095 करोड़ रुपए का एनपीए यानी नन परफॉर्मिंग असेट को माफ़ कर दिया। जब किसी क़र्ज़ पर लगातार तीन किश्तों का भुगतान नहीं होता है तो उसे एनपीए कहा जाता है।

अर्थतंत्र से और खबरें
बता दें कि क़र्ज़ माफ़ करने के बाद भी बैंक उसकी उगाही की प्रक्रिया चालू रख सकता है और उसकी उगाही पूरी कर सकता है। बस, वह बैंक के बैलेंस शीट में नहीं दिखाया जाता है। यह अमूमन उस क़र्ज़ के किया जाता है जिसकी वसूली लंबे समय से नहीं होती आई है या जिसकी वसूली बेहद मुश्किल हो गई है। 
यह महत्वपूर्ण बात है कि जबसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, सरकारी बैंकों ने 10.72 लाख करोड़ रुपए का क़र्ज़ माफ कर दिया है।

क़र्ज़माफ़ी क्यों?

इस क़र्जमाफ़ी का बड़ा हिस्सा यानी 75 प्रतिशत सरकारी बैंकों का है। स्टेट बैंक समेत पाँच बैंकों ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही 89,686 करोड़ रुपए का क़र्ज़ माफ़ कर दिया है। 

इन बैंकों ने जितना क़र्ज़ माफ़ किया है, उससे ज़्यादा तो सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट के लिए बाज़ार से क़र्ज़ लिया है। केंद्र सरकार ने इस साल बाज़ार से 12.05 लाख करोड़ रुपए का ऋण लिया है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें