वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकिंग क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण फ़ैसले का एलान करते हुए कहा कि कई सरकारी बैंकों का विलय किया जाएगा। अलग-अलग रूप से 10 बैंकों का विलय किया जाएगा और उसके बाद 4 नए बैंक बनेंगे। इसके बाद कुल मिला कर 12 सरकारी बैंक होंगे। याद दिला दें किसी समय देश में कुल 27 सरकारी बैंक थे।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि पंजाब नेशनल बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक का विलय कर एक बैंक बनाया जाएगा। नए एकीकृत बैंक के पास कुल मिला कर 7.59 लाख करोड़ रुपए की मार्केट कैपिटलाइजेशन होगी। इस प्रक्रिया में न तो खाताधारकों और न ही बैंक कर्मचारियों पर कोई बुरा असर पड़ने दिया जाएगा, उनके हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का विलय कर दिया जाएगा। इसके बाद जो नया बैंक बनेगा, उसके पास 10,342 शाखाएँ होंगी। यह देश का 5वाँ सबसे बड़ा बैंक होगा।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक का विलय कर दिया जाएगा। इसके बाद जो बैंक बनेगा, वह देश का 7वाँ सबसे बड़ा बैंक होगा। इसी तरह यूनियन बैंक. कॉरपोरेशन बैंक और आंध्रा बैंक का विलय कर एक बैंक बनेगा, जो इन तीनों से बड़ा होगा। इस विलय प्रक्रिया पूरी होने के बाद देश में कुल 12 सरकारी बैंक ही होंगे।
पेशेवर बैंक
वित्त मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह फ़ैसला इसलिए लिया गया है ताकि बैंकों को अधिक पेशेवर बनाया जा सके, उन्हें ज़्यादा कुशल बनाया जाएगा ताकि वे बेहतर काम कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि बैंको के शीर्ष प्रबंधन को ऐसा बनाया जाएगा कि बड़े फ़ैसले कई लोग मिल कर लें, एक व्यक्ति के हाथों न हो। निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकिंग सुधार वित्तीय मजबूती को ध्यान में रख कर किया जा रहा है। इस पर ध्यान दिया जाएगा कि वे चुस्त हों, बेहतर काम करें, अधिक पेशेवर हों और पूरी तरह आधुनिक तकनीकी से लैस हों।
पूंजी निवेश
वित्त मंत्री ने ज़ोर देकर कहा है कि इन बैंकों के पास पैसे की कमी नहीं होगी। सरकार 70 हज़ार करोड़ रुपए का पूंजी निवेश इन बैंकों में करेगी। यह ध्यान रखा जाएगा कि किसी नए बैंक के पास पैसे की कमी न हो।
'कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखेंगे'
वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों के विलय के बाद किसी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी। इसके पहले भी जब-जब सरकारी बैंकों का विलय हुआ, उस कारण कभी किसी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला गया। इस बार भी विलय के बाद किसी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसके उलट कर्मचारियों की सेवा शर्तें बेहतर होंगी। 'खाताधारकों के लिए बेहतर'
निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि विलय के बाद लोगों के पास कम विकल्प होंगे, यह धारणा ग़लत है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पूरे विलय की मूल अवधारणा ही यह है कि लोगों को बेहतर सेवा मिले, बेहतर कामकाज मिले, कर्ज़ वगैरह की दिक्क़त न हो।
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