वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को सफ़ाई दी है कि प्रति वित्त वर्ष 7 लाख रुपये तक के अंतरराष्ट्रीय डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वाले भुगतानों पर टीसीएस नहीं लगेगा। इसने कहा है कि इतना तक का भुगतान एलआरएस यानी लिबरलाज्ड रेमिटेंस स्कीम की सीमा से बाहर रखा जाएगा। सरकार की यह सफ़ाई तब आई है जब इस मामले में उसकी काफ़ी आलोचना हो रही थी। सरकार समर्थक माने जाने वाले कई लोगों ने ही सोशल मीडिया पर इस फ़ैसले की आलोचना की थी।
यह केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से मंगलवार को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत नियमों में संशोधन के बाद आया है। सरकार ने पहले जो अधिसूचना जारी की थी उसमें कहा गया था कि आरबीआई की सलाह से सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन (चालू खाता लेनदेन) नियमों में संशोधन करने के लिए क्रेडिट कार्ड लेनदेन को एलआरएस की सीमा में ला दिया है। एलआरएस में इसको लाने का सीधा मतलब था कि 250000 डॉलर या इससे ज़्यादा ख़र्च वाली खरीद के लिए आरबीआई के पूर्व अनुमोदन की ज़रूरत होती। इतना खर्च पर 20 फ़ीसदी टीसीएस यानी टैक्स कलेक्टेड एज सोर्स के रूप में लगाने का प्रावधान था।
तब कहा गया था कि जो भी शख्स इस कर दायरे में नहीं आता है उसको यह टैक्स कटौती का पैसा वापस तभी वापस मिल सकता है जब वह टैक्स रिटर्न भरते समय इसका दावा करे। ऐसा नहीं किया तो समझिए कि आपका पैसा गया!
अभी तक क्रेडिट कार्ड से किए गए खर्च को एलआरएस के दायरे में नहीं गिना जाता था। अब 1 जुलाई से सब कुछ बदलने वाला है। सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। हालाँकि कहा गया है कि इस कदम का उद्देश्य क्रेडिट कार्ड के उपयोग के माध्यम से एलआरएस सीमा की धोखाधड़ी को रोकना है। सरकार द्वारा सफ़ाई दिए जाने से पहले उसकी ओर से जारी अधिसूचना को रविसुतांजनी नाम के ट्विटर यूज़र ने ट्विटर थ्रेड के माध्यम से इसको समझाने की कोशिश की कि आख़िर यह टैक्स क्या है।
His Total Spends are say ₹2.5 Lakh
— Ravisutanjani (@Ravisutanjani) May 17, 2023
Total Spends/Bill - ₹2.5 Lakh
20% TCS - ₹50,000
Total Amount - ₹3 Lakh
(Note, Your bank may charge additional Forex Markup, GST when you use Credit Card Abroad)
सीएनबीसी टीवी 18 की रिपोर्ट के अनुसार गिरीश वनवारी ने कहा, 'जो लोग विदेशों में पैसा भेजना चाहते हैं, उन्हें एलआरएस के तहत $250,000 की समग्र सीमा के बारे में सावधान रहने की ज़रूरत होगी। विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए डाइरेक्ट रेमिटेंस और क्रेडिट कार्ड के उपयोग के बीच की सीमा के उपयोग की योजना बनानी होगी।'
एलआरएस एक भारतीय को एक वर्ष में $250,000 तक रेमिट करने की अनुमति देता है। अब तक क्रेडिट कार्ड लेनदेन के माध्यम से की गई खरीदारी, चाहे वह विदेशों में जाकर की गई खरीदारी हो या भारत में बैठे विदेशी सामान/सेवाओं की ऑनलाइन खरीदारी एलआरएस सीमा के हिस्से के रूप में नहीं गिना जाता था।'
इसका मतलब है कि अब अगर आप अपनी विदेश की छुट्टी पर गए हैं और कॉफी खरीदने के लिए अपना क्रेडिट कार्ड स्वाइप करते हैं तो भी टीसीएस के प्रावधान लागू होंगे। यदि आप डॉलर या पाउंड में यूएस या यूके पत्रिका सदस्यता के लिए ऑनलाइन भुगतान करते हैं तो वे भी लागू होंगे। इस वित्तीय वर्ष से कर की दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी गई है। कर विशेषज्ञ बताते हैं कि व्यक्ति भुगतान किए गए टीसीएस के रिफंड का दावा करने में सक्षम होंगे, लेकिन इससे अल्पावधि में नकदी की समस्या हो सकती है। कर की यह दर 5 से 20 फ़ीसदी कुछ मामलों में ही की गई है।
• Use Case 4
— Ravisutanjani (@Ravisutanjani) May 17, 2023
Riya study in Canada for her Masters
Her Parents need to send her money for expenses on Periodic Basis via Bank Transfer
• Use Case 5
Ram is Travelling to US for Medical Treatment
The TCS would be applied as Follows 👇 pic.twitter.com/hMgLLUSuiu
रिपोर्ट के अनुसार केपीएमजी में पार्टनर और बीएफ़एसआई टैक्सेशन के प्रमुख सुनील बडाला ने कहा, 'सैकड़ों छोटे क्रेडिट कार्ड लेनदेन पर टीसीएस प्रावधानों का कार्यान्वयन व्यापारियों और बैंकों के लिए एक परिचालन चुनौती साबित हो सकता है। हमें यह देखने की आवश्यकता होगी कि उपायों को कैसे लागू किया जाता है।'
जब बैंक, क्रेडिट कार्ड कंपनियां और व्यापारी नए नियमों के कार्यान्वयन को लागू करें तो सुनिश्चित करें कि अगली बार जब आप उस कार्ड को स्वाइप कर रहे हों या ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हों तो आप किसी भी और हर विदेशी लेनदेन के सभी बिलों का ट्रैक रिकॉर्ड रखें। यह एकमात्र तरीका है जिससे आप रिफंड का दावा कर सकते हैं या अपनी अग्रिम कर देनदारी के खिलाफ भुगतान किए गए टीसीएस को खो सकते हैं।
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