मोदी सरकार ने दिसंबर 2018 से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि लागू करने की घोषणा की है। इसके तहत सरकार ने हर चार माह में दो हेक्टेयर से कम जोत वाले किसानों को 2000 रुपये उनके बैंक खाते में देने की घोषणा की है। यानी 6000 रुपये प्रति वर्ष।
नाराज़ किसान को मनाने की कोशिश
किसान ज़्यादा नाराज़ नज़र आ रहा है, इसलिए उसके लिए एडवांस में एक किश्त की व्यवस्था भी की गई है। सरकार ने इसके लिए मौजूदा वित्त वर्ष में 20000 करोड़ रुपये का आवंटन भी कर दिया है। यानी आम चुनाव से ठीक पहले लगभग हर किसान परिवार को दो हजार रुपये मिल जाएँगे। संदेश साफ़ है कि हम अभी आपको 2000 रुपये दे रहे हैं, आप हमें वोट दे देना।बता दें कि तेलांगना में रैयत बंधु स्कीम के तहत हर किसान को रबी व ख़रीफ़ की फ़सलों के लिए चार-चार हजार रुपये डायरेक्ट बेनीफ़िट के रूप में दिए जा रहे हैं। केंद्र की इस योजना में जो पैसा दिया जा रहा है, वह तेलंगाना के मुकाबले 2000 रुपये कम है।
पहली बार हुई एडवांस व्यवस्था
ऐसा नहीं है कि पहले की सरकारें अपने अंतरिम बजट में वोटरों को लुभाती नहीं थीं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि बजट में संबंधित वर्ष के पहले के वर्ष से लागू होने वाली योजना घोषित की गई है। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि वोटरों को लुभाने के लिए सरकार बजट में लक्षित वोटरों के लिए एडवांस व्यवस्था कर दे। मोटे तौर पर यह माना जाता है कि देश में करीब 12 करोड़ ऐसे किसान परिवार हैं जिनकी जोत दो हेक्टेयर से कम है।
इसके अलावा, अंतरिम बजट में कहा गया है कि कृषि की तरह मत्स्य पालन, पशुपालन आदि में लगे लोगों के लिए भी किसान क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था होगी और उनको भी ब्याज पर दो फ़ीसदी की छूट मिलेगी। यदि समय पर क़र्ज़ अदा कर दिया तो तीन फ़ीसदी की अतिरिक्त छूट मिलेगी।
समय पर क़र्ज़ चुकाओ, छूट पाओ
यह भी प्रस्ताव है कि प्राकृतिक आपदाओं की वजह से डिफ़ाल्ट करने वालों के क़र्ज़ को री-शेड्यूल कर दिया जाएगा और पूरे समय ब्याज पर दो फ़ीसदी की छूट मिलेगी। यदि री-शेड्यूलिंग के टाइम टेबल के हिसाब से क़र्ज़ चुकाया तो तीन फ़ीसदी की अतिरिक्त छूट मिलेगी। बजट प्रस्तुत करते हुए पीयूष गोयल ने यह भी बताया कि किसानों का फसली क़र्ज़ 11.68 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का है।
देखने में तो अंतरिम बजट का प्रस्ताव बढ़िया लग रहा है लेकिन जब फसली क़र्ज़ के आकार को देखें और किसान के मार्जिन को देखें, तो समझ में आता है कि समस्या कहाँ है और सरकार ट्रीटमेंट कहाँ और क्या दे रही है।
पिछले साल के बजट में भी वित्त मंत्री ने कहा था कि बजट का फ़ोकस गाँव और किसान हैं। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए बहुत ऊंची आवाज़ में कहा था कि उनकी सरकार ने गाँवों व किसानों के लिए 14 लाख करोड़ का प्रावधान किया है। लेकिन उसके बाद भी पिछले एक साल में किसानों की जिंदगी पर क्या असर पड़ा, यह पिछले विधानसभा चुनावों में दिखाई दिया।
कामगारों के लिए पेंशन योजना
दूसरी ख़ास बात इस अंतरिम बजट में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए पेंशन योजना की घोषणा है। इसकी डिटेल आनी बाक़ी है लेकिन फिर भी जितना पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में जानकारी दी है, उसके हिसाब से यह स्कीम 15000 रुपये प्रतिमाह की आय व 18 से 40 साल के असंगठित कामगारों के लिए है। इस स्कीम में जो लोग शामिल होंगे, उन्हें साठ साल की उम्र के बाद 3000 रुपये प्रति माह की पेंशन मिलेगी।
असंगठित क्षेत्र के कामगार का रोज़गार नियमित तो होता नहीं। दो साल पहले हुई नोटबंदी के बाद तो लाखों कामगार काम से बाहर हो गए थे। यदि यह स्कीम तब भी चल रही होती, तो क्या ये लोग इस स्कीम में बने रह पाते। अब सोचिए कि इससे किसको और क्या फ़ायदा होगा?
तीसरी और ख़ास बात यह है कि 5 लाख तक की शुद्ध आय पर टैक्स नहीं लगेगा। नौकरीपेशा वर्ग की अगर बात करें तो यदि वह सभी टैक्स सेविंग प्रावधानों का इस्तेमाल करे तो उनकी साढ़े दस लाख तक की आय टैक्स फ़्री हो सकती है। अब एक बात और, 5 लाख तक की शुद्ध आय वालों को लगभग 13000 रुपये का फ़ायदा हुआ। यह वह वर्ग है जिसे बीजेपी अपना कट्टर समर्थक मानती है।
बजट कम और नारेबाज़ी ज़्यादा
चौथी ख़ास बात, घुमंतू जातियों के लिए नोमैडिक वेलफेयर बोर्ड के गठन की है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, गुजरात व राजस्थान आदि में इसका असर पड़ेगा। यह भी चुनाव को देखते हुए किया गया है। कुल मिलाकर देखें तो यह अंतरिम बजट कम और नारेबाज़ी ज़्यादा है।
एविएशन सेक्टर पर सरकार का दावा ग़लत
बजट भाषण में यह भी कहा गया कि देश की प्रगति का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उड़ान योजना के चलते घरेलू ट्रैफ़िक दोगुना हो गया और एविएशन सेक्टर में लोगों को ख़ूब नौकरियाँ मिलीं। लेकिन यदि वास्तविकता देखें तो, एक एयरलाइन को छोड़कर बाकी सब घाटे में चल रही हैं।
एक समय की सबसे बड़ी एयरलाइन डूबने की कगार पर है। हर फ़्लाइट में व हर एयरपोर्ट पर एयरलाइंस के कर्मचारियों की संख्या में लगातार कटौती हो रही है। लेकिन सरकार कह रही है कि एविएशन सेक्टर बढ़ रहा है और उसमें बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है। यह बात सरकार की नारेबाज़ी की असलियत बताने के लिए पर्याप्त है।
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