मोदी सरकार छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटाने के अपने फ़ैसले से 24 घंटे के अंदर ही पलट गई। सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटाने का फ़ैसला वापस ले लिया है। केंद्र सरकार को इस बात का डर ज़रूर था कि पांच राज्यों के चुनाव के वक़्त यह फ़ैसला उसके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। इसलिए, उसने बिना वक़्त गंवाए यह क़दम उठा लिया।
जिन छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दर घटाने का फ़ैसला लिया गया था, उनमें राष्ट्रीय बचत पत्र, सुकन्या समृद्धि खाता योजना और सामान्य भविष्य निधि (पीपीएफ़) शामिल हैं।
वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंतिम दिन केंद्र सरकार ने ब्याज दरों में कटौती का एलान किया था और निश्चित रूप से देश की बड़ी आबादी वाले मध्य वर्ग पर इसका असर होना लाजिमी था।
पीपीएफ़ के लिए ब्याज दर को घटाकर 7.1 फ़ीसदी से 6.4 फ़ीसदी कर दिया गया था। इसी तरह राष्ट्रीय बचत पत्र की योजनाओं पर ब्याज दर को घटाकर 6.8 से 5.9 कर दिया गया था। इसके अलावा सुकन्या समृद्धि खाता योजना के लिए भी ब्याज दर को 7.6 फ़ीसदी से घटाकर 6.9 फ़ीसदी कर दिया गया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरूवार को एक ट्वीट के ज़रिये इस फ़ैसले की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की लघु बचत योजनाओं पर ब्याज की दरें वही बनी रहेंगी, जो वित्त वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही में थीं। उन्होंने कहा कि सरकार अपने फ़ैसले को वापस लेती है।
कहा जा रहा है कि बीजेपी संगठन की ओर से भी इस फ़ैसले को लेकर सरकार के सामने चिंता जाहिर की गई और सरकार ने तुरत-फुरत फ़ैसला ले लिया। मध्य वर्ग अपनी कमाई में कुछ बचत इन योजनाओं के जरिये करता है और ऐसे में ब्याज दर घटाने से सीधे तौर पर उसे आर्थिक नुक़सान होता और बीजेपी को इससे राजनीतिक नुक़सान हो सकता था।
दिग्जविजय सिंह ने ली चुटकी
सरकार के इस क़दम पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने चुटकी ली और कहा कि चुनाव के डर से मोदी-शाह-निर्मला सरकार ने अपना निर्णय बदल दिया। उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण को यह वादा भी करना चाहिए कि चुनाव हो जाने के बाद भी आप फिर से ब्याज दर नहीं घटाएंगी।
अपनी राय बतायें