सरकार चाहे जो दावे करे, देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है। इसका औद्योगिक उत्पादन पहले से ही गिर रहा था, जून महीने में यह 2 प्रतिशत तक पहुँच गया। इसकी मुख्य वजह यह है कि 8 कोर सेक्टर में बेहद ख़राब कारोबार हुआ। कोयला, कच्चा तेल, उर्वरक, प्राकृतिक गैस, रिफ़ाइनरी उत्पाद, स्टील, सीमेंट, बिजली के क्षेत्र में निराशाजनक कामकाज की वजह से औद्योगिक उत्पादन दर में यह गिरावट दर्ज की गई है।
इसके ठीक एक साल पहले यानी जून 2018 में कारखानों का उत्पादन दर बढ़ कर 7 प्रतिशत हो गया था। इसे औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पर मापा गया था। जून में इस गिरावट का मुख्य कारण मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर का ख़राब प्रदर्शन है। इस सेक्टर में जून महीने में वृद्धि दर 1.2 प्रतिशत मापी गई थी, जबकि पिछले साल इसी समय वह 6.9 प्रतिशत पर थी। इसी तरह खनन सेक्टर में वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत देखी गई, जबकि पिछले साल यह 6.5 प्रतिशत थी।
सबसे तेज़ अर्थव्यवस्था नहीं रही
इससे पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था फिसल कर नीचे आ गयी थी। घरेलू खपत घटने और अंतरराष्ट्रीय माँग गिरने की वजह से भारत के उत्पादन और सेवा क्षेत्रों में जनवरी-मार्च की तिमाही में काफ़ी कमी आई। नतीजा यह है कि अर्थव्यवस्था बढ़ने की रफ़्तार में यह चीन से पीछे छूट गया।पिछले साल इसी तिमाही में यह दर 8.1 फ़ीसदी थी। मार्च की इस तिमाही की जीडीपी विकास दर पिछले पाँच साल में सबसे कम है। इससे पहले 2013-14 में यह दर सबसे कम 6.4 फ़ीसदी थी। इसके साथ ही पूरे साल यह विकास दर 6.8 फ़ीसदी पहुँच गई। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान सालाना जीडीपी विकास दर 7.2 फ़ीसदी रही थी।
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