2-जी पर घोटाले का हल्ला मचाकर सरकार में आयी भारतीय जनता पार्टी की सरकार 5-जी को मुफ़्त में ट्रायल के लिए देने को तैयार है। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसका एलान किया। 2-जी के आबंटन में लाखों करोड़ रुपये के घपले का शोर मचाने वालों ने टेलीकॉम कंपनियों द्वारा कोई रुचि न दिखाने के चलते चीन की पश्चिमी देशों में बदनाम/प्रतिबंधित कंपनी हुआवे को भी इस काम में शरीक कर लिया है।
ज़रा अतीत में लौटें तो 3-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी 2010 में क़रीब 34 दिन चली थी पर 4-जी की नीलामी कुल पाँच दिनों में ही ख़त्म हो गई। 700/900 MHz को किसी ने पूछा तक नहीं और साठ फ़ीसदी बैंडविड्थ बिकी ही नहीं। नतीजा 5-जी का फ़्री ट्रायल करने का एलान हुआ है।
2-जी पर हवा-हवाई नुक़सान पर गले फाड़-फाड़कर स्कैम तलाश चुके कलाकार ग़ायब हैं। 3-जी की बोली से 5.63 लाख करोड़ रुपए मिलने के अनुमानधारक तब लापता मिले जब कुल 65 हज़ार करोड़ रुपए ही मैदान में आए।
तब के हीरो सीएजी विनोद राय कहाँ हैं? 2017 में अदालत भी घोटाले की तलाश से पीछे हट गई! जबकि टेलीकॉम सेक्टर आज लगभग बर्बाद हो गया है और अब जब हुआवे मैदान में आ ही गई है तो वही होगा जो मोबाइल हैंडसेट बाज़ार का हुआ। भारतीय कंपनियों का सफ़ाया।
अभी जो 4-जी और 3-जी के उपकरण हैं वे एयरटेल और वोडाफ़ोन को हुआवे ने ही सप्लाई किये हैं। तो जब वह ख़ुद एक खिलाड़ी होगी तो बिचौलियों को कहाँ जगह मिलेगी? कोई जवाबदेही है? 3-जी में सरकार को 2-जी जितना भी क्यों नहीं मिला? 4-जी इतना सस्ते में क्यों गया और 5 जी मुफ़्त में क्यों ऑफ़र है?
तो क्या यह न माना जाए कि रचित 2-जी घोटाले में जो एक लाख छिहत्तर करोड़ का नुक़सान विनोद राय ने तय किया था वह सिरे से झूठी कपोलकल्पना थी या वर्तमान सरकार ने 4-जी या 5-जी की स्पेक्ट्रमों की नीलामी में उनसे भी बड़ा घोटाला कर दिया है?
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