बाबूलाल मरांडी
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हेमंत सोरेन
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भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2020-2021 में शून्य से 7.3 प्रतिशत नीचे चली गई, यानी इसकी विकास दर -7.3 दर्ज की गई है। यह पिछले 40 साल की न्यूनतम आर्थिक विकास दर है।
यह आर्थिक विकास दर ठीक ऐसे समय दर्ज की गई है जब नरेंद्र मोदी सरकार के सात साल पूरे हो गए, वह इस मौके पर बढ़-चढ़ कर दावे कर रही है जबकि विपक्ष उस पर अर्थव्यवस्था चौपट कर देने का आरोप लगा रहा है।
यह विकास दर खुश होने की नहीं चिंतित होने की बात है क्योंकि इस दौरान लॉकडाउन पूरी तरह हट चुका था और कामकाज सामान्य हो गया था। इसके बावजूद यह विकास दर यह संकेत देती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है।
याद दिला दें कि इसके पहले साल यानी वित्तीय वर्ष 2019-20 में 4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी जो 11 वर्ष में सबके कम विकास दर थी। अर्थव्यवस्था के लिहाज यह खराब प्रदर्शन उत्पादन और निर्माण क्षेत्रों के सिकुड़ने की वजह से हुआ था। वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहले तिमाही यानी अप्रैल 2020 से जून 2020 के दौरान विकास दर झटका खाते हुए -24.38 रही थी।
बता दें कि इस साल वित्तीय घाटा 78 हज़ार करोड़ रुपये का रहा है, जो पिछले साल के 2.9 लाख करोड़ रुपये के मुक़ाबले काफी कम है। अप्रैल में आठ कोर इंडस्ट्री यानी आठ मूलभूत उद्योगों की वृद्धि दर की बात करें तो यह 56.1 फीसदी रही है।
बता दें कि अक्टूबर 2020 में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने अपने अनुमान में कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था और ज़्यादा सिकुड़ेगी। इसका अनुमान है कि मार्च 2021 में ख़त्म होने वाले इस वित्त वर्ष में जीडीपी 10.3 फ़ीसदी सिकुड़ जाएगी।
इसने पहले जून में 4.5 फ़ीसदी तक सिकुड़ने का अनुमान लगाया था। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के अनुमानों में इस तरह की गिरावट कभी नहीं रही जहाँ 5.8 पर्सेंटेज प्वाइंट कम करना पड़ा हो। जबकि चीन के बारे में स्थिति अलग है।
आईएमएफ़ का अनुमान था कि उसकी जीडीपी विकास दर सकारात्मक रहेगी। इसने चीन के लिए जून में जहाँ जीडीपी विकास दर 1 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया था वहीं अब इसने बढ़ाकर इसे 1.9 फ़ीसदी कर दिया था।
बता दें कि फरवरी के अंत में खुदरा महंगाई दर पाँच प्रतिशत पर पहुँच गई थी, जो तीन महीने का उच्चतम था। इसी समय थोक मूल्य सूचकांक 4.2 पर पहुँच गया तो 27 महीने का उच्चतम स्तर था।
खाने-पीने की चीजें, ईंधन व उत्पादित वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से महंगाई में यह वृद्धि देखी गई थी।
फरवरी में मछली-मांस की कीमत में 11.3 प्रतिशत, अंडे में 11 प्रतिशत, तेल में 20.8 प्रतिशत, दाल में 12.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
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