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कोरोना ख़तरे के बीच जीडीपी दर 10.5-12.5% कैसे बढ़ेगी?

जीडीपी यानी सकल घरेलू विकास दर पर माथापच्ची जारी है। माथापच्ची इस बात पर कि इस वित्तीय वर्ष 2021-22 में यह दर कितनी रहेगी। अर्थव्यवस्था से जुड़ी एजेंसियाँ लगातार अनुमान लगा रही हैं। रिज़र्व बैंक ने आज ही कहा है कि आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी विकास दर 10.5 फ़ीसदी रहेगी। कुछ ऐसा ही केंद्रीय बजट में भी कहा गया था। और एक दिन पहले मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्र कोष ने तो यह दर 12.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया है। इन सभी को उम्मीद है कि कोरोना से उबरने के बाद भारत की वह अर्थव्यवस्ता रफ्तार पकड़ेगी जिसके पिछले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में 8 प्रतिशत सिकुड़ने यानी -8 फ़ीसदी रहने का अनुमान है। लेकिन 10.5 और 12.5 फ़ीसदी जैसे अनुमान कितने सही साबित होंगे जब कोरोना संक्रमण पिछले साल के मुक़ाबले ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रहा है, ज़्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं, और इसके अनुरूप मुंबई, दिल्ली जैसे शहरों के साथ ही कई ज़िलों में लॉकडाउन जैसी स्थिति हो गई है और रात का कर्फ्यू लगाया जा रहा है?

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कोरोना और इससे उपजी परिस्थितियों में बड़े उद्योगों से लेकर मझोले व छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और आम लोग सशंकित हैं। रात के कर्फ्यू और तरह-तरह की पाबंदी से फिर से पिछले साल जैसी दिक्कतें आने भी लगी हैं। मुंबई और दिल्ली के व्यापारियों ने पाबंदियों के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा भी जाहिर किया है। इसका मतलब साफ़ है कि उनका व्यापार प्रभावित हो रहा है। 

इस बीच अब भारतीय रिज़र्व बैंक यानी आरबीआई ने भरोसा जताया है कि पिछले साल रिकॉर्ड गिरावट के बाद अब आर्थिक गतिविधियाँ बहाल हो रही हैं और इसी के आधार पर जीडीपी वृद्धि दर 10.5 फ़ीसदी रह सकती है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि मुद्रास्फीति भी नियंत्रित होती दिखाई दे रही है। उन्होंने अनुमान लगाया है कि इस क्वार्टर में खुदरा महंगाई दर 5.2 फ़ीसदी तक आ जाएगी। उन्होंने कहा है कि कोरोना टीकाकरण अभियान से विकास की संभावना बढ़ी और इससे अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने में मदद मिलेगी। 

हालाँकि आईएमएफ़ ने भी भारत की जीडीपी दर को 12.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया है लेकिन कोरोना से जैसे हालात हैं उसको लेकर उसने कहा है कि इस पर 'गंभीर ख़तरा' भी है। यानी कोरोना के मौजूदा हालात को देखते हुए 12.5 फ़ीसदी विकास दर पाना आसान नहीं होगा। 

आईएमएफ़ ने कहा कि 31 मार्च को ख़त्म हुए वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 8 फ़ीसदी के अनुमानित सिकुड़न के बाद इस वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 12.5 फ़ीसदी के बढ़ने के आसार हैं, हालाँकि मौजूदा कोरोना की लहर के कारण इसके नीचे जाने का बड़ा ख़तरा है।

आईएमएफ़ का यह आकलन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले आया है।

खास बात यह है कि आईएमएफ़ ने कोरोना की दूसरी लहर के ख़तरे को देखने के बाद ही यह आकलन पेश किया है। दरअसल उसने पहले के अपने आकलन को एक फ़ीसदी और बढ़ा दिया है। जनवरी में तो आईएमएफ़ ने भारत की विकास दर के बारे में कहा था कि 11.5 फ़ीसदी से इसके बढ़ने के आसार हैं। 

india growth outlook of 10.5-12.5% faces severe risks as corona second wave surges - Satya Hindi

आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने मंगलवार को अर्थव्यवस्था में एक फ़ीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान व्यक्त करते हुए कहा है कि भारत में आर्थिक गतिविधियों के सामान्यीकरण के सबूत मिल रहे हैं। 

बता दें कि लगातार दो तिमाही में सिकुड़ने के बाद अक्टूबर-दिसंबर की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर सकारात्मक हो गई है। सरकार की ओर से जारी अक्टूबर-दिसंबर में यह विकास दर 0.4 फ़ीसदी रही। इससे पहले दो तिमाही में यह दर नकारात्मक रही थी। इसका मतलब है कि अब देश की अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी से बाहर निकल रही है। 

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हालाँकि तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी सकारात्मक हो गई है लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था के -8 फ़ीसदी रहने का अनुमान है। यानी यह पूरे वित्तीय वर्ष में सिकुड़ेगी ही।  

ऐसा इसलिए कि इससे पहले की दो तिमाहियों में काफ़ी ज़्यादा नुक़सान हो चुका है। इससे पहले की जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.3 फ़ीसदी सिकुड़ी। यानी यह दर नकारात्मक रही। हालाँकि पहले दूसरी तिमाही में इसके -7.5 रहने का अनुमान लगाया गया था जिसे सुधारकर -7.3 किया गया है। इससे पहले की अप्रैल-जून की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर -24.4 रही। हालाँकि पहले अनुमान लगाया गया था कि पहली तिमाही में यह -23.9 फ़ीसदी रही थी जिसे अब सुधारा गया है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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