क्या भारत में लैपटॉप, टैबलेट, कम्प्यूटर महंगे होने वाले हैं? जब पूरी दुनिया में मुक्त बाज़ार की वकालत की जा रही है तो फिर भारत में इनके आयात पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है? इसके लिए लाइसेंस की वकालत क्यों की जा रही है?
इस सवाल का जवाब बाद में, पहले यह जान लें कि क्या फ़ैसला लिया गया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक नोटिस में कहा है कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को एचएसएन 8471 के तहत लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर के आयात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया। नोटिस में कहा गया है, 'एचएसएन 8741 के तहत आने वाले लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर और अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर कंप्यूटर और सर्वर का आयात प्रतिबंधित होगा और उनके आयात को प्रतिबंधित आयात के लिए वैध लाइसेंस पर अनुमति दी जाएगी।'
हालाँकि, इसके साथ यह भी कहा गया है कि कुछ प्रकार के पीसी जिन्हें 'पूंजीगत सामान' नामित किया गया हो, उन्हें छूट दी जा सकती है। सरकार की घोषणा के बाद स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक्स अनुबंध निर्माताओं के शेयरों में तेजी आई। तो क्या स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और विदेशी सामान को हतोत्साहित करने के लिए यह फ़ैसला लिया गया है?
कहा जा रहा है कि यह प्रतिबंध विदेशी इलेक्ट्रॉनिक्स के आयात को हतोत्साहित करने के लिए लगाया गया है। समझा जाता है कि जिन कंपनियों के लैपटॉप, टैबलेट, कम्प्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान बाहर से आयात किए जाते हैं उन कंपनियों को भारत में यूनिट स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे क़दम उठाये गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने हाल ही में लैपटॉप, टैबलेट और अन्य हार्डवेयर के निर्माताओं को देश में आकर्षित करने के लिए 170 बिलियन रुपये की वित्तीय प्रोत्साहन योजना शुरू की है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार कार्यक्रम का लक्ष्य भारत में लैपटॉप, टैबलेट और सर्वर की मांग को भुनाना है और देश को इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का केंद्र बनाना भी है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत के 60 अरब डॉलर से अधिक के इलेक्ट्रॉनिक्स के वार्षिक आयात में लैपटॉप और टैबलेट का योगदान भी है।
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