अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह पर एक विस्फोटक रिपोर्ट सामने आने के बाद फिर से भारतीय कंपनियों के बारे में ऐसी ही रिपोर्ट आने की बात कही जा रही है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड जैसों द्वारा वित्त पोषित 'संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट' यानी ओसीसीआरपी भारतीय कंपनियों के बारे में एक रिपोर्ट लाने की तैयारी में है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह संगठन भारत में कुछ कॉर्पोरेट घरानों पर एक और 'एक्सपोज़' की योजना बना रहा है।
ओसीसीआरपी की वेबसाइट पर दिए गए विवरण में कहा गया है कि खोजी पत्रकारों का एक वैश्विक नेटवर्क है जो अपराध और भ्रष्टाचार को उजागर करता है। समूह भारत में कुछ कॉर्पोरेट घरानों पर एक रिपोर्ट या लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित कर सकता है। इसमें कहा गया है कि 'एक्सपोज़' में कॉरपोरेट घरानों के शेयरों में निवेश करने वाले विदेशी फंड शामिल हो सकते हैं। इन फर्मों की अभी तक पहचान नहीं की गई है लेकिन एजेंसियाँ कथित तौर पर पूंजी बाजार पर कड़ी नजर रख रही हैं।
अपनी वेबसाइट पर ओसीसीआरपी ने जॉर्ज सोरोस द्वारा स्थापित एक परोपकारी संगठन, ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन को संस्थागत दानदाताओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है जो उसके कामकाज को संभव बनाते हैं। अन्य में फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर ब्रदर्स फंड और ओक फाउंडेशन शामिल हैं।
बता दें कि इसी साल 24 जनवरी की एक रिपोर्ट में यूएस शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि उसने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया। हालाँकि अडानी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है। इसके बावजूद हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद से अडानी कंपनियों के शेयरों की क़ीमतें धड़ाम गिरी हैं।
हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए आरोप के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था जब जॉर्ज सोरोस ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समूह के ख़िलाफ़ आरोपों पर विदेशी निवेशकों और संसद के सवालों का जवाब देना चाहिए।
उनकी टिप्पणी की सत्तारूढ़ भाजपा ने तीखी आलोचना की, जिसमें कहा गया कि जॉर्ज सोरोस ने न केवल पीएम मोदी पर हमला किया, बल्कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी निशाना साधा।
अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी द्वारा की जा रही है। कथित तौर पर इसने मामले पर अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली है जिसे सुप्रीम कोर्ट को सौंपा जाएगा। शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित समयसीमा 14 अगस्त को सेबी ने अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए अतिरिक्त 15 दिन का अनुरोध किया। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होनी है।
अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी ने पिछले महीने कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट अडानी समूह की प्रतिष्ठा और छवि को नुक़सान पहुँचाने के उद्देश्य से लायी गयी थी। उन्होंने कहा था कि हिंडनबर्ग ने कम समय में अडानी समूह के शेयरों को कम करके लाभ कमाने के लिए किया गया एक जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण प्रयास था।
अडानी ने आरोप लगाया कि शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट निहित स्वार्थों से तैयार की गई थी। उन्होंने कहा कि गलत सूचना और बदनाम करने वाले ये आरोप समूह को नुकसान पहुंचाने के लिए तब लगाए गए जब अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ आने वाला था। उन्होंने कहा कि अधिकांश आरोप 2004 से 2015 के बीच के हैं और उन सभी का निपटारा उस समय अधिकारियों द्वारा किया गया था।
अपनी राय बतायें