भारत की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर जून में गिरकर पाँच फ़ीसदी पर पहुँच गई है। यह छह साल में सबसे निचला स्तर है। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने शुक्रवार को यह आँकड़ा जारी किया है। जिस तरह से आर्थिक मोर्चे पर सरकार की स्थिति है उस लिहाज़ से ऐसी गिरावट अपेक्षित थी। स्वतंत्र रूप से काम करने वाले अर्थशास्त्री ऐसी गिरावट का अंदेशा जता रहे थे।
जीडीपी आँकड़े आने से पहले निर्मला के 'सुधार'
जीडीपी के आँकड़े आने से पहले सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में सुधार की बड़ी घोषणा की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10 बैंकों का विलय कर 4 बैंक बनाने की घोषणा की है। इसके साथ ही अब देश में सरकारी बैंकों की संख्य 27 से घटकर 12 हो जाएगी। बता दें कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने अर्थव्यवस्था में जान फूँकने के लिए कई क़दम उठाए हैं। उन्होंने ऑटो सेक्टर के लिए भी कई घोषणाएँ की थी। इसके साथ ही बैंकिंग सेक्टर, जीएसटी, कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए कई फ़ैसले किए। ज़ाहिर है इन क़दमों को उठाए जाने का मतलब था कि सरकार को अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत का अंदाज़ा पहले से ही था।क्या था आर्थिक सर्वे में अनुमान?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के एक दिन पहले संसद में आर्थिक सर्वे पेश करते हुए कहा था कि अगले साल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर का लक्ष्य 7 प्रतिशत रखा गया है। लेकिन इसके बाद जीडीपी वृद्धि दर का लक्ष्य 8 प्रतिशत किया जाएगा ताकि देश 2025 तक 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाए। तब उन्होंने कहा था कि मौजूदा जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत है। इसे देखते हुए अनुमानित दर को व्यवहारिक ही कहा जाएगा।
अर्थव्यवस्था ख़राब दौर में
सरकार चाहे जो दावे करे, मंदी छाई हुई है, निवेश कम हो रहा है, निर्यात गिरा है, माँग-खपत कम हो रही है, कर उगाही कम हो रही है और देश की अर्थव्यवस्था विश्व में पाँचवें पायदान से गिर कर सातवें पर पहुँच गई है। जिस अर्थव्यवस्था की स्थिति इतनी बुरी हो, उसका क्या हश्र होगा, यह भी सबके सामने है। भारतीय अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुरी तरह फिसली है। यह पहले पाँचवें स्थान पर थी, लेकिन अगस्त माह के शुरुआती दिनों में ही जारी आँकड़ों के हिसाब से यह सातवें स्थान पर आ गई। विश्व बैंक की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2.72 खरब डॉलर है। एक साल पहले भारत की जीडीपी 2.65 खरब डॉलर थी। इस समय भारत के ऊपर छठे स्थान पर फ्रांस (2.77 खरब डॉलर) और पाँचवें स्थान पर ब्रिटेन (2.82 खरब डॉलर) है।
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