सरकार द्वारा केंद्रीय बजट में डेरिवेटिव ट्रेडों और इक्विटी निवेश से पूंजीगत लाभ पर टैक्स बढ़ाए जाने के बाद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने तीन दिनों में शेयर बाजार से लगभग 1.27 बिलियन डॉलर (लगभग 10,710 करोड़ रुपये) निकाले हैं। स्टॉक एक्सचेंज का आंकड़ा बता रहा है कि 23 जुलाई को बजट की घोषणा के समय एफपीआई ने 2,975 करोड़ रुपये और 24 जुलाई को 5,130 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची। उन्होंने गुरुवार को 2,605 करोड़ रुपये निकाल लिए।
विदेशी निवेशकों को मोदी सरकार से कई सुधार वाले उपायों की उम्मीद थी। इसी वजह से एफपीआई ने 12 से 22 जुलाई के बीच लगभग 18,000 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी थी। बजट में पूंजीगत लाभ कर (कैपिटल गेन टैक्स) के संबंध में कुछ प्रमुख घोषणाएं की गई हैं, जिसके तहत सभी प्रकार की संपत्तियों के लिए दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) पर टैक्स की दर 12.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है, भले ही हस्तांतरणकर्ता भारत का हो एनआरआई हो। तो इसका मतलब क्या हुआ-
निशिथ देसाई एसोसिएट्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि “अनिवासी निवेशकों को सभी प्रकार की संपत्तियों पर एलटीसीजी टैक्स की उच्च दर से नुकसान होगा। यहां तक कि एफपीआई के लिए भी, सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के लिए टैक्स की दर एलटीसीजी के मामले में 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत और एसटीसीजी के मामले में 15 फीसदी से 20 फीसदी कर दी गई है।”
एफपीआई कैपिटल गेन टैक्स में वृद्धि को नेगेटिव देख रहे हैं, भले ही दीर्घकालिक लाभ पर यह बढ़ोतरी मध्यम है। हालांकि, फ्यूचर्स और ऑप्शंस पर एसटीटी दरें बढ़ने से ट्रेडिंग की लागत भी बढ़ जाएगी। बीडीओ इंडिया के वित्तीय सेवा कर, कर और नियामक सेवाओं के भागीदार मनोज पुरोहित ने कहा, एनआरआई विशेष रूप से एफपीआई वाले पूंजीगत लाभ पर अतिरिक्त कर के बोझ से मुक्त होंगे।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “भारतीय बाजार में संस्थागत इक्विटी प्रवाह की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता एफपीआई प्रवाह की अनियमित प्रकृति और डीआईआई प्रवाह की स्थिर वृद्धि है। CY 24 के सभी महीनों में DII अब तक लगातार खरीदार बने हुए हैं, जबकि FPI ने खरीद और बिक्री के बीच बदलाव किया है।
उन्होंने कहा, मार्केट से पैसे निकालने का कारण यह है कि एफआईआई गतिविधि अमेरिकी बांड से कमाई और अन्य बाजारों में मूल्यांकन जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित होती है, जबकि डीआईआई गतिविधि काफी हद तक बाजार में घरेलू प्रवाह से प्रेरित होती है।
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