सरकार ने बुधवार को कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत की रफ़्तार से बढ़ने का अनुमान है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में यह दर 9.1 प्रतिशत थी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 में 7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया था। यानी 7.2 की रफ़्तार अनुमान से मामूली ज़्यादा है।
केंद्र सरकार के एनएसओ कार्यालय ने आज जनवरी-मार्च तिमाही के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के आँकड़े जारी किए हैं। इस तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण वृद्धि और अनुमान से बेहतर रही। चौथी तिमाही में वृद्धि दर 6.1 फ़ीसदी रही, जबकि इससे पहले की तीसरी तिमाही में यह दर 4.4% रही थी।
जनवरी-मार्च तिमाही में अर्थव्यवस्था में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि पिछली दो तिमाहियों में सुस्ती के बाद बढ़ गई। कहा गया है कि ऐसी बढ़ोतरी इस वजह से हुई है क्योंकि व्यापार, होटल और परिवहन क्षेत्रों में सबसे अधिक 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
हाल ही में एक शोध रिपोर्ट में अमेरिका स्थित रेटिंग फर्म मूडीज ने कहा है कि भारत अगले कुछ वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती जी20 अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
बता दें कि अप्रैल महीने में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक विकास दर अनुमान को 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया है। हालाँकि आईएमएफ़ ने कहा है कि अनुमान को घटाए जाने के बाद भी भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
अपने वार्षिक विश्व आर्थिक आउटलुक में आईएमएफ ने 2024-25 के वित्तीय वर्ष के पूर्वानुमान को घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया, जो इस साल जनवरी में 6.8 प्रतिशत था। आईएमएफ़ ग्रोथ का अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से कम है। आरबीआई ने 2022-23 में 7 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि और 1 अप्रैल से शुरू हुए चालू वित्त वर्ष में 6.4 प्रतिशत का अनुमान लगाया है।
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