चीन का डर!
ऑर्गनाइजेशन ने दवा उद्योग का उदाहरण देते हुए कहा कि चीन में दवा बनाने वाली कपनियाँ खुल गई हैं, उत्पादन शुरू हो चुका है। यदि भारतीय कंपनियों को दवा निर्यात की अनुमति नहीं दी गई तो भारत का पूरा निर्यात बाज़ार चीन के पास चला जाएगा।“
‘हमने सरकार को बताया है कि समस्या यह है कि यदि आप अपना बाज़ार किसी देश, ख़ास कर चीन जैसे देश के लिए छोड़ देते हैं तो उसे वापस लेना बहुत ही मुश्किल है।’
अजय साहनी, महानिदेशक, फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन
उत्पादन शुरू हो
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने सरकार से कहा है कि हमें कम से कम आधे कर्मचारियों के साथ ही सही, पर काम शुरू करने दिया जाए, जिससे सोशल डिस्टैंसिंग भी बरक़रार रहे और हम काम भी शुरू कर सकें ताकि उद्योग पर बहुत गहरी चोट न पड़े।’निर्यातकों के इस संगठन का मानना है कि जिस तरह सामानों की ढुलाई चालू कर दी गई, उसी तरह कुछ कर्मचारियों के आने-जाने की अनुमति भी दे दी जाए। इसी तरह उत्पादन के अलावा कुछ दूसरे आवश्यक काम से जुड़े कर्मचारियों को भी कारखाने तक जाने दिया जाए।
ईएसआई, पीएफ़ से छूट की माँग
इस बैठक में उद्योगपतियों ने यह माँग भी रखी कि कुछ समय के लिए कर्मचारी बीमा कोष में पैसे जमा करने की बाध्यता ख़त्म कर दी जाए। इस योजना के तहत कंपनियों को ईएसआई स्कीम में पैसे जमा कराने होते हैं ताकि उस पैसे से कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर खर्च किया जा सके।कॉरपोरेट घरानों ने यह माँग भी की है कि कर्मचारियों के वेतन का कुछ हिस्सा फ़िलहाल सरकार चुकाए, क्योंकि उद्योगों के पास पैसे नहीं है।
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