केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में देश की आर्थिक स्थिति को बताने वाली सर्वे रिपोर्ट पेश की। इस सरकारी दस्तावेज में वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 8-8.5 फीसदी की विकास दर का अनुमान लगाया गया। हालांकि भारत सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) का कहना है कि देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 9.2 फीसदी रह सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। कृषि और औद्योगिक उत्पादन में तेजी आई है। इससे हालात बेहतर होंगे। आर्थिक सर्वे देखकर लगता है कि मंगलवार को सदन में 11 बजे पेश किया जाने वाला बजट 2022-23 भी बेहतर होगा।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश के विकास की भागीदारी में "व्यापक वैक्सीन कवरेज, आपूर्ति सुधारों से लाभ और नियमों में ढील, मजबूत निर्यात वृद्धि और पूंजीगत खर्च (कैपिटल स्पेंडिंग) को बढ़ाने के लिए राजकोष की उपलब्धता" की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
हालांकि आईएमएफ ने अगले वित्तीय वर्ष में भारत के लिए 9 फीसदी विकास दर बताई थी, उसकी तुलना में भारत सरकार का आंकड़ा थोड़ा संकीर्ण है।
भारतीय अर्थव्यवस्था ने जुलाई-सितंबर की अवधि के दौरान गति प्राप्त की है। वो धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आ रही है क्योंकि विनाशकारी दूसरी लहर के बाद कोरोना वायरस का असर काफी कम हो गया है।
वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एक साल पहले की तुलना में 8.4% की वृद्धि हुई, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज दरों में से एक है।
बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण, जो अर्थव्यवस्था की स्थिति को पेश करने और नीतिगत नुस्खे सुझाने के लिए केंद्रीय बजट से पहले संसद में पेश किया जाता है, अक्सर जीडीपी पूर्वानुमान पर चूक जाता है।
पिछला सर्वेक्षण, जनवरी 2021 में कोविड महामारी के बीच प्रस्तुत किया गया था, जिसमें 2021-22 के लिए 11 फीसदी आर्थिक विकास का अनुमान लगाया गया था।
हालांकि, भारत के सांख्यिकी मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर केवल 9.2% रहने का अनुमान लगाया है। 2020 में कोविड महामारी के प्रकोप से पहले संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में 6-6.5 फीसदी के मुकाबले 2020-21 के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.3% की कमी आई थी।
मार्च 2020 में देश की आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं क्योंकि कोरोना वायरस को रोकने के लिए सख्त तालाबंदी की गई थी। इसके बाद सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए कई उपाय किए।
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