केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 सोमवार को पेश किया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी 6.5 से 7 फीसदी के बीच बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि इसमें जोखिम का भी इशारा किया गया है। सर्वेक्षण में कहा गया- "सर्वेक्षण में 6.5-7 फीसदी की वास्तविक जीडीपी बढ़ोतरी का अनुमान है, जिसमें जोखिम समान रूप से हैं, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बाजार की उम्मीदें हाईलेवल पर हैं।"
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि सर्विसेज से जुड़ी महंगाई और मजबूत श्रम बाजार के कारण मुख्य महंगाई दर स्थिर बनी हुई है। यही स्थिति अधिकांश एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में भी है। लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में स्वीकार किया गया है कि महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही है। सर्वे के मुताबिक उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 22 में 3.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 6.6 प्रतिशत और वित्त वर्ष 24 में 7.5 प्रतिशत हो गई। इससे पिछले दो वर्षों में 97 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत मिलता है।
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भारत में खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2023 से साल-दर-साल लगभग 8 फीसदी पर बनी हुई है और जल्द ही इसके कम होने की संभावना नहीं है।
शेयर मार्केट की तारीफः संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा गया है कि भारत की विकास की कहानी पूंजी बाजार से संचालित होती है क्योंकि प्रौद्योगिकी, कैपिटल फॉरमेशन और डिजिटलीकरण में प्रगति के कारण पूंजी निर्माण और निवेश में हिस्सेदारी बढ़ी है। इसमें कहा गया है कि भारतीय बाजार ग्लोबल जियो-पोलिटिकल और आर्थिक झटकों के प्रति लचीले हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि बढ़े हुए भू-राजनीतिक जोखिम, बढ़ती ब्याज दरें और अस्थिर कमोडिटी कीमतें भी भारतीय शेयर बाजारों को नहीं रोक सकीं, जो वित्त वर्ष 2024 में उभरते बाजारों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक रहे हैं।
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