पहले टाटा समूह और उसके बाद इन्फ़ोसिस, सत्तारूढ़ बीजेपी की मातृ संस्था समझे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पत्रिका और उसके पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जिस तरह सार्वजनिक रूप से इन पर हमला किया और इन्हें 'राष्ट्र विरोधी' तक कह दिया, उससे उद्योग जगत डरा-सहमा हुआ है।
किसी उद्योग समूह के ग़लत कामकाज को लेकर उसकी आलोचना एक बात है और बग़ैर किसी ठोस कारण के ही, किसी उद्योग समूह या उद्योगपति की सार्वजनिक आलोचना और राष्ट्र-विरोधी क़रार देना बिल्कुल अलग।
इसे समझने के लिए इन्फ़ोसिस और टाटा समूह के साथ क्या हुआ है, इस पर एक नज़र डालना ज़रूरी है।
इन्फ़ोसिस
'पाँचजन्य' के ताज़ा अंक में एक लेख छपा है, जिसमें पूछा गया है, "क्या राष्ट्र-विरोधी शक्ति इसके माध्यम से भारत के आर्थिक हितों को चोट पहुँचाने की कोशिश कर रही है?"
'पाँचजन्य' के लेख में कहा गया है कि इन्फ़ोसिस द्वारा विकसित जीएसटी और आयकर रिटर्न वेबसाइटों में गड़बड़ियों के कारण, "देश की अर्थव्यवस्था में करदाताओं के विश्वास को चोट लगी है। क्या इन्फ़ोसिस के माध्यम से राष्ट्र विरोधी ताकतें भारत के आर्थिक हितों को ठेस पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं?"
बता दें कि इन्फ़ोसिस की वेबसाइट पर काफी समय से गड़बड़ियाँ चल रही हैं और शिकायत के बावजूद इसे ठीक नहीं किया गया है।
इन्फ़ोसिस के अधिकारी तलब
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने पोर्टल के लगातार दो दिनों तक बंद रहने के बाद इन्फ़ोसिस के सीईओ को तलब किया था।
वित्त मंत्री ने वेबसाइट लॉन्च होने के ढाई महीने बाद भी जारी गड़बड़ियों के बारे में सरकार और करदाताओं की चिंता व्यक्त की थी।
बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने मुखपत्र 'पाँचजन्य' में सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फ़ोसिस पर छपे एक लेख से खुद को अलग कर लिया है। उसने कहा है कि लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं, संघ के नहीं।
लेकिन बात यहीं ख़त्म नहीं हुई।
अडिग है 'पाँचजन्य'
बीबीसी के अनुसार, पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि वे अपनी कवर स्टोरी पर कायम हैं।
उन्होंने कहा, "पाँच सितंबर के पाँचजन्य संस्करण पर काफ़ी हंगामा हो रहा है। यह कवर स्टोरी सबको पढ़नी चाहिए।"
उन्होंने ट्वीट किया, "पांचजन्य अपनी रिपोर्ट को लेकर अडिग है। अगर इन्फ़ोसिस को किसी भी तरह की आपत्ति है तो उसे कंपनी के हित में इन तथ्यों की और गहराई से पड़ताल करके मुद्दे का दूसरा पहलू पेश करने के लिए कहना चाहिए।"
हितेश शंकर ने लिखा, "कुछ लोग इस संदर्भ में निजी स्वार्थ के लिए आरएसएस का नाम ले रहे हैं। याद रखिए कि यह रिपोर्ट संघ से सम्बन्धित नहीं है। यह इन्फ़ोसिस के बारे में है। यह तथ्यों और कंपनी की अकुशलता से जुड़ी है।"
टाटा समूह पर विवाद
अब एक नज़र डालते हैं टाटा समूह को लेकर हुए विवाद पर।
केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय उद्योग परिसंघ यानी (सीआईआई) के सालाना कार्यक्रम में उद्योग जगत पर बेहद तीखा हमला किया और कहा कि उनका कामकाज राष्ट्र हित के ख़िलाफ़ होता है। उन्होंने कहा,
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'वे सिर्फ अपने, अपनी कंपनी और अपने मुनाफ़े के बारे में सोचते हैं, उन्हें देश हित से कोई मतलब नहीं है।'
पीयूष गोयल, वाणिज्य मंत्री
इतना ही नहीं, गोयल ने यह भी कह दिया कि 'राष्ट्रवादी कंपनियाँ विदेशी उत्पाद आयात नहीं करतीं, लेकिन भारतीय कंपनियाँ दस पैसे के लालच में विदेश से सामान खरीद लेती हैं।'
उनका सबसे तीखा हमला टाटा समूह पर था, जिसका नाम लेकर उन्होंने उस पर हमला किया।
गोयल ने टाटा समूह के ढांचागत संरचना, रक्षा व एअरोस्पेस विभाग के अध्यक्ष का नाम लेकर उन पर हमला बोला। उन्होंने कहा, "मैं, मेरा और मेरी कंपनी-हम सबको इससे बाहर निकलने की ज़रूरत है।"
गोयल ने इसके आगे कहा, "आपकी जैसी कोई कंपनी एक-दो विदेशी कंपनी खरीद ली तो उसका महत्व ज़्यादा हो गया, देश हित कम हो गया?"
परेशान है उद्योग जगत
इन दो घटनाओं से उद्योग व्यापार जगत में परेशानी छाई हुई है, हालांकि ज़्यादातर लोग चुप हैं और कुछ कहने से बच रहे हैं।
मारुति उद्योग के अध्यक्ष आर. सी. भार्गव ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए इन्फ़ोसिस का बचाव किया और कहा कि उसने सॉफ़्टवेअर के क्षेत्र में भारत को दुनिया में स्थापित किया है।
उन्होंने कहा,
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इन्फ़ोसिस को गड़बड़ियों का जवाब देना चाहिए, पर यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने कोई साजिश की है।
आर. सी. भार्गव, अध्यक्ष, मारुति सुज़ुकी
आरएसएस के एक पदाधिकारी ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए इन्फ़ोसिस पर पलटवार किया है।
उन्होंने कहा, "कॉरपोरेट जगत से सवाल क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए, क्या वे पवित्र गाय हैं?"
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