भारत के विकल्प की तलाश
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि चीनी अख़बार 'ग्लोबल टाइम्स' के एक संपादकीय लेख में इस बारे में खुल कर कहा गया है कि चीनी कंपनियों को अब भारत के विकल्प की तलाश करनी चाहिए।यह भी कहा गया है कि अपने निवेश और कर्मचारियों की सुरक्षा करना किसी भी कंपनी या देश का दायित्व है और इसलिए चीनी कंपनियों को अपने निवेश या उत्पादन बढ़ाने की किसी भी योजना को फिलहाल टाल देना चाहिए।
क्या किया ओप्पो ने?
चीनी स्मार्ट फ़ोन कंपनी ओप्पो 5-जी हैंडसेट की ऑनलाइन बिक्री इस बुधवार को शुरू करने वाली थी। पर उसने इस पर फिलहाल रोक लगा दी है। समझा जाता है कि कंपनी ने चीनी उत्पादों के प्रति बढ़ रही भावनाओं को ख्याल में रख कर ऐसा किया है।“
'इसका मतलब यह नहीं कि चीनी कंपनियों को चुपचाप बैठे रहना चाहिए और मामले के शांत होने का इंतजार करना चाहिए। मुमकिन हो तो उन्हें अपने पूंजी निवेश को कहीं और ले जाने और वैकल्पिक बाज़ार तलाशने पर सोचना चाहिए।'
'ग्लोबल टाइम्स' के संपादकीय का अंश
चीनी उत्पादों का बॉयकॉट
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र यह मानता है कि भारत से पूंजी निवेश निकालने पर सोचना चाहिए और दूसरे बाज़ारों की तलाश करनी चाहिए। इस चिंता की मुख्य वजह यह है कि भारत में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी और उससे जुड़े संगठनों ने जगह-जगह चीनी उत्पादों के बॉयकॉट का अभियान शुरू कर दिया है।ख़ुद केंद्र सरकार इस अभियान से जुड़ी हुई नहीं है, न ही उसके शीर्ष नेतृत्व के किसी नेता ने चीनी उत्पादों के बॉयकॉट की अपील की है। पर भारत में जगह-जगल चल रहे इस अभियान के पीछे संघ और उसकी विचारधारा से जुड़े लोग हैं, यह साफ़ है।
इस चीन-विरोधी अभियान का मक़सद चीन का विरोध नहीं, उसके बहाने सरकार की नाकामियों से लोगों का ध्यान बँटाना है। पर यह भावना बढ़ती चली गई तो खुद इन नेताओं के नियंत्रण से बाहर चली जाएगी, इसकी पूरी संभावना है।
चीनी ठेके रद्द
दूसरी ओर, यह साफ़ दिख रहा है कि यह सिर्फ दिखावे के लिए नहीं हो रहा है, बल्कि भारत सरकार ने चीनी कंपनियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है।और ठेके रद्द होंगे?
रेलवे ने अभी दूसरे ठेके रद्द नहीं किए हैं। पर कई ठेके हैं, जिन पर तलवार लटक रही है क्योंकि वे अभी पूरे नहीं हुए हैं। रेलवे अपनी इसी नीति पर चलती रही तो ये ठेके रद्द हो सकते हैं।- रेल ट्रांजिट इक्विपमेंट सप्लाई करने वाली चीनी कंपनी सीआरआरसी को भारत में मेट्रो कोच और पुर्ज़े सप्लाई करने के 7 से ज़्यादा ऑर्डर मिले हुए हैं। कोलकाता, नोएडा और नागपुर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए कंपनी को मेट्रो कोच सप्लाई करने का ऑर्डर मिला था।
- इसी कंपनी को मई 2019 में रेलवे ट्रैक के काम में इस्तेमाल होने वाली मशीन के 129 उपकरण खरीदने को लेकर 487,300 अमेरिकी डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था।
- रेलवे ट्रैक के लिए 19 मल्टी परपज़ टैम्पर खरीदने का एक अरब डॉलर से ज़्यादा का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था।
- अप्रैल 2019 में रेलवे ट्रैक के लिए इस्तेमाल होने वाली प्वाइंट्स क्रॉसिंग एंड टैम्पिंग मशीन की खरीदारी का कॉन्ट्रेक्ट चीन की जेमैक इंजीनियरिंग मशीनरी को दिया था।
ये ठेके बीते साल भर में चीनी कंपनियों को मिले हैं। ये अभी रद्द नहीं हुए हैं, पर यदि रद्द होते हैं तो चीनी कंपनियों को नुक़सान होगा।
क्या सड़कों पर चीनी उत्पादों की होली जलाने वाले लोग यह दबाव बनाएंगे कि रेलवे ये ठेके रद्द कर दे?
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