चीन की मौजूदा आर्थिक स्थिति ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। यह चिंता आर्थिक संकट का है। आशंका है कि कहीं श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट तो नहीं होगा! यदि ऐसा हुआ तो यह दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए अशुभ संकेत होगा। ऐसा आर्थिक जानकारों का कहना है।
चीन के आर्थिक संकट का नतीजा दुनिया भर में कितना घातक होगा और इसका क्या-क्या असर होगा, यह जानने से पहले यह जान लें कि चीन में आख़िर अभी ऐसा क्या हो रहा है कि आर्थिक मंदी का अंदेशा जताया जाने लगा है। चीन के रियल एस्टेट डेवलपर्स डीफॉल्ट कर रहे हैं। चीन के बैंकों की हालत दयनीय है। चीन का कुल कर्ज तेजी से बढ़ रहा है, जो उसके जीडीपी का कई गुना ज़्यादा है। ये वे संकेत हैं जिसे मंदी की आहट के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन में जो सबसे बड़ा संकट बताया जा रहा है वह है रियल एस्टेट का संकट। दरअसल, चीन का रियल एस्टेट सेक्टर कर्ज में डूबा हुआ है। इसी वजह से निवेशक इस सेक्टर से दूरी बना रहे हैं। इसी संकट की वजह से कई अरबपतियों की संपत्ति में बेहद कमी आ गई है। एशिया की सबसे अमीर महिला यांग ह्यूयान ने अपनी आधी दौलत गंवा दी है। वह चीन की प्रॉपर्टी मार्केट की दिग्गज शख्स थीं। बीते एक साल में उनकी संपत्ति 11 अरब डॉलर से ज़्यादा घट चुकी है।
पिछले साल चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांडे पर क़रीब 300 अरब डॉलर का कर्ज था, उसने अपने बॉन्ड रीपेमेंट्स में डीफॉल्ट किया। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते से चीन के 91 शहरों में 300 से ज्यादा प्रोजेक्ट में मकान मालिकों ने ईएमआई चुकाने से इनकार कर दिया है। ऐसा इसलिए कि डेवलपर्स उन्हें मकान नहीं दे रहे। द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स को अब आशंका है कि इस साल राष्ट्रीय प्रॉपर्टी की बिक्री में 28% -33% की गिरावट आएगी। इसने कहा है कि हमारे पूर्व पूर्वानुमान से यह लगभग दोगुना है।
बैंक के आगे टैंक क्यों तैनात करना पड़ा?
इसके अलावा, चीन का बैंकिंग सिस्टम भी ख़राब हालत में है। इसकी दयनीय हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है हेनान प्रांत में बैंक ऑफ चीन की शाखा की सुरक्षा के लिए सड़क पर सरकार को टैंक तैनात करने पड़े हैं। ऐसा इसलिए कि बैंक के लोगों के पैसे वापस करने से इनकार करने के बाद पिछले कुछ सप्ताह से पुलिस और लोगों के बीच में झड़पें हो रही हैं।
रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन के हेनान प्रांत के कई छोटे बैंक दिवालिया हो गए। अब आशंका जताई जा रही है कि चीन के दूसरे प्रांतों में भी ऐसे सैकड़ों बैंक दिवालिया हो सकते हैं।
चीन का कुल कर्ज तेजी से बढ़ रहा है। यह उसके जीडीपी का 264% है। इसमें कॉरपोरेट और व्यक्तिगत ऋण भी शामिल हैं। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में 2009 के बाद से कर्ज के आधार पर विकास की रणनीति पर अमल हो रहा है। इसी वजह से कर्ज बेहद ज़्यादा हो गया है। अब क्योंकि कोरोना महामारी के बाद से विकास की रफ़्तार धीमी पड़ी है तो कर्ज का भार बढ़ता हुआ दिख रहा है। इसका असर भी हो रहा है। लोगों की आमदनी कम होने का अनुमान है। इस साल दूसरी तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 0.4% पर आ गई है। यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के लिए अच्छे संकेत तो नहीं ही हैं।
एक संकट बिजली का भी पैदा होता हुआ दिख रहा है। चीन कोयले की कमी से जूझ रहा है। पर्याप्त बिजली नहीं होने से चीन के औद्योगिक क्षेत्रों में घंटों बिजली कटौती हो रही है। इससे चीन का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर प्रभावित हुआ है।
इन्हीं वजहों से आशंकाएँ इस बात की जताई जा रही हैं कि चीन इस संकट से जल्द उबरता हुआ नहीं दिख रहा है। दुनिया के कई छोटे देश आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और इससे दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ मामूली रूप से प्रभावित हुई हैं। लेकिन यदि चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी आती है तो इसका असर उन छोटे देशों की तरह नहीं होगा। आशंका है कि यह पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला देगी और दुनिया में लंबी मंदी चलने की आशंका को बल देगी। इससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा। आईएमएफ़ ने भारत के विकास दर को चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर के अनुमान को 8.2% से घटाकर 7.4% कर दिया है। इसके लिए जो कारण बताए गए हैं उसमें से एक कारण चीन में मंदी की आशंका को भी बताया गया है।
अपनी राय बतायें