बीस लाख करोड़ रुपए के पैकेज के एलान करने के बाद सरकार भले ही यह दावा करती रहे कि अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से उबर जाएगी और पटरी पर लौट आएगी, सच यह है कि इसकी फिलहाल कोई संभावना नहीं दिख रही है।
अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेन्सी केअर ने कहा है कि मौजूदा तिमाही के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 20 प्रतिशत सिकुड़ेगी, यानी इतना कम कारोबार होगा।
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केअर की रिपोर्ट
केअर ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है, लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा और हमें लगता है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद मौजूदा तिमाही में 20 प्रतिशत कम होगा।अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी ने कहा है कि देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पुरी तरह पंगु हो गई क्योंकि हर तरह का कारोबार रुक गया। अलग-अलग संस्थानों ने इसकी आशंका जताई है कि इस लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था घाटे में रहेगी।
अर्थव्यवस्था पंगु
हालांकि सरकार ने बाद में लॉकडाउन में छूट दी और कृषि, बैंकिंग, ग्रामीण इलाक़ों निर्माण कार्य समेत कई मामलों में कारोबार की छूट दे दी, अभी भी इन क्षेत्रों में भी कामकाज सामान्य नहीं हआ है। इसकी एक वजह कामगारों की कमी भी है, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान अधिकांश मज़दूर अपने-अपने घर चले गए और उनमें से ज़्यादातर अपने कार्य स्थल पर नहीं लौटे हैं।केअर के अनुसार, ग्रॉस वैल्य एडेड यानी अर्थव्यवस्था में जो कुछ जोड़ा जाएगा, वह पिछले साल से 19.9 प्रतिशत कम होगा। समझा जाता है कि कृषि और सरकारी खर्च को छोड़ हर सेक्टर में कामकाज निगेटिव होगा, यानी शून्य से भी नीचे होगा।
कृषि में सुधार
इस एजेन्सी ने अनुमान लगाया है कि कृषि, वन, मत्स्य पालन, लोक प्रशासन, सुरक्षा और सेवा क्षेत्र में कारोबारी नतीजा सकारात्मक हो सकता है यानी इन क्षेत्रों में कामकाज शून्य से ऊपर हो सकता है। बाकी तमाम क्षेत्रों में इसके शून्य से नीचे होने की आशंका है।कर उगाही कम, निर्यात गिरा
निर्यात में 37 प्रतिशत की गिरावट हो चुकी है, अतंरराष्ट्रीय बाज़ार में कोई मांग नहीं निकल रही है। कर उगाही पहले से बहुत कम हो रही है। चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में जीएसटी की राजस्व उगाही 1.85 लाख करोड़ हुई, जो पहले की तुलना में41 प्रतिशत कम है। इसकी वजह है कि लॉकडाउन के दौरान मांग व खपत कम हो गई।विश्व बैंक
जिस दिन केअर ने यह रिपोर्ट दी, उसी दिन विश्व बैंक ने कहा कि उसने भारतीय अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने के बारे में जो कुछ कहा था, स्थिति उससे बदतर हो सकती है। विश्व बैंक ने पहले कहा था कि भारतीय जीडीपी शून्य से 3.2 प्रतिशत नीचे जा सकती है। पर अब बदली हुई स्थिति में वह इसमें बदलाव करेगी, अब पहले के अनुमान से अधिक ख़राब स्थिति हो सकती है।स्टेट बैंक
इसके ठीक पहले स्टेट बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अप्रैल-जून की तिमाही में अर्थव्यवस्था के 16.50 प्रतिशत सिकुड़ने यानी पहले से कम कारोबार करने के आसार हैं।देश के इस सबसे बड़े बैंक ने 'इकोरैप' नाम की रिपोर्ट में कहा था कि मई में यह अनुमान लगाया गया था कि वित्तीय वर्ष 21 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था पहले की तुलना में 20 प्रतिशत कम कारोबार कर पाएगी। बैंक ने यह रिपोर्ट सोमवार को जारी की।
इसके भी पहले वित्त मामलों के विभाग यानी डीईए ने एक रिपोर्ट में कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यह कहा है कि कोविड-19 की वजह से आपूर्ति-माँग को लगे अभूतपूर्व झटके से जीडीपी 4.5 प्रतिशत सिकुड़ेगा।
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