तीन राज्य सरकारों ने बजट 2021 में लगाए गए कृषि अधिभार (एग्रीकल्चरल सेस) का विरोध करते हुए इसे संघीय ढाँचे के ख़िलाफ़ बताया है और कहा है कि इससे केंद्र-राज्य रिश्तों पर बुरा असर पड़ेगा। इन राज्यों का कहना है कि सेस की वजह से राज्यों की कमाई कम हो जाएगी और उनके आर्थिक हित प्रभावित होंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में कृषि अधिभार लगाया है, मसलन, पेट्रोल पर 4 रुपए और डीज़ल पर 2.50 रुपए प्रति लीटर सेस लगाया गया है।
राज्यों का विरोध
लेकिन सीतारमण ने यह भी कहा कि इससे इन उत्पादों की कीमत नहीं बढ़ेगी। इसका उपाय यह किया गया है कि इन पर लगने वाले उत्पाद कर व सीमा शुल्क में कटौती कर दी गई है। उत्पाद कर व सीमा शुल्क का एक हिस्सा राज्य को मिलता है। इसमें कटौती किए जाने से राज्यों को मिलने वाले पैसे में कमी हो जाएगी, जबकि वह पैसा सेस के रूप में केंद्र को ही मिलेगा।पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने इसका विरोध किया है। ये तीनों ही ग़ैर-बीजेपी शासित राज्य हैं, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, ओडिशा में बीजू जनता दल और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार है।
संघीय ढाँचे के ख़िलाफ़
अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में केंद्रीय अधिभार के रूप में 30,000 करोड़ रुपए की उगाही की जा सकेगी। 15वें वित्त आयोग की सिफ़ारिशों के अनुसार यह पूरा पैसा केंद्र को मिलेगा। दूसरी ओर, केंद्र द्वारा वसूले गए करों का 41 प्रतिशत राज्यों के बीच बाँट जाता है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक वीडियो मैसेज में कहा कि "सेस के जरिए कर वूसली का केंद्रीयकरण किया जा रहा है, इससे केंद्र-राज्य संबंध कमज़ोर होंगे।"
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिख कर सेस का विरोध किया है। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा,
“
"केंद्र को सेस से हिस्सा राज्यों को नहीं देना होता है। जब मौजूदा सरकार 2014 में सत्ता में आई तो केंद्रीय सेस कुल राजस्व का 2.5 प्रतिशत था, यह बढ़ कर 16 प्रतिशत हो गया है।"
अमित मित्रा, वित्त मंत्री, पश्चिम बंगाल
'केंद्र की लूट'
उन्होंने यह भी कहा कि इससे केंद्र की मंशा साफ है, वह राज्यों को मिलने वाले पैसे से हिस्सा मार रही है।
पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इसे 'संघवाद की लूट' क़रार दिया।
छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री टी. सिंह देव ने केंद्रीय सेस का विरोध करते हुए कहा,
“
"इससे राज्यों को नुक़सान होगा, उनका राजस्व कम होता जाएगा और राज्य राजस्व के अपने वाजिब हक़ से वंचित होते जाएंगे।"
टी. सिंह देव, वाणिज्यिक कर मंत्री, छत्तीसगढ़
उन्होंने इसके आगे कहा कि "यह राज्यों का हक़ मारने का तरीका है, केंद्र इस तरह की चालबाजी करता आया है।"
छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री ने कहा, "यह राज्यों के बजट को छोटा करने के समान है। पहले केंद्र ने दावा किया कि राज्यों को मिलने वाले पैसे को 32 प्रतिशत से बढ़ा कर 42 प्रतिशत कर दिया गया, पर ऐसा कभी नहीं हुआ। केंद्र ने राज्यों की कोई योजनाओं को बंद कर दिया।"
कृषि अधिभार यानी एग्रीकल्चरल सेस कपास, सोना, सेब, शराब, तेल, कोयला, चना दाल, काबुली चना, दाल, पेट्रोल और डीज़ल पर लगाया गया है। यह सेस 1.5 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक लगाया गया है।
अपनी राय बतायें