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कोरोना से 170 देशों में प्रति व्यक्ति आय कम होगी : आईएमएफ़

कोरोना महामारी की वजह से विश्व अर्थव्यवस्था 1929-30 की महा मंदी के बाद की सबसे भयानक मंदी की ओर बढ़ रही है और 170 देशों में प्रति व्यक्ति आय कम होगी। मंदी का सबसे ज़्यादा असर ग़रीब देशों पर पड़ेगा। आईएमए़फ़ प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा है, 'हमारा पूर्वानुमान है कि महा मंदी (ग्रेट डिप्रेशन) के बाद की सबसे बड़ी मंदी आने वाली है।’ 

क्या था 'द ग्रेट डिप्रेशन'?

बता दें कि 1929 में अमेरिका से शुरू हुई आर्थिक मंदी पूरी दुनिया में फैल गई और 1930 के अंत तक बनी रही। इसकी शुरुआत अमेरिकी स्टॉक मार्केट के बुरी तरह टूटने से हुई थी, लेकिन यह मंदी बढ़ती गई, फैलती गई और इसने जल्द ही पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया। 
वैसी मंदी फिर कभी नहीं देखी गई। अब आईएमएफ़ का कहना है कि उसके बाद की सबसे भयानक मंदी आने ही वाली है। 
अगले हफ़्ते ही आईएमएफ़ और विश्व बैंक की वर्चुअल बैठक होने वाली है। इस बैठक के बाद आईएमएफ़ विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगा, जिससे यह पता चल सकेगा कि असली तसवीर कैसी होगी। 
कुछ दिन पहले ही आईएमएफ़ ने अनुमान लगाया था कि 2021 विश्व अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर होगा और कई देशों की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। 
तीन महीने पहले 189 देशों वाली इस संस्था ने कहा था कि 160 देशों की प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी। अब यही संस्था कह रही है कि 170 देशों में प्रति व्यक्ति आय कम होगी।
जॉर्जीवा ने यह भी कहा है कि लातिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के ज़्यादातर देशों की आर्थिक स्थिति बदतर होगी, वे अधिक ख़तरनाक स्थिति में हैं। आईएमएफ़ प्रमुख ने कहा :

‘कमज़ोर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली से शुरू होकर इन देशों के सामने चुनौती होगी कि घनी आबादी वाले शहरों और झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाक़ों में कोरोना संक्रमण से लड़ें, जहाँ सोशल डिस्टैंसिंग आसान नहीं है।’


क्रिस्टलीना जॉर्जीवा, प्रमुख, आईएमए़फ़

संकट की दूसरी स्थिति यह है कि निवेशक डरे हुए हैं और वे इन उभरती अर्थव्यवस्थाओं से अपने पैसे निकाल लेंगे, जिसका असर पूरी विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा कि बीते दो महीने में ही निवेशकों ने कुल मिला कर लगभग 100 अरब डॉलर का निवेश निकाल लिया है।

आ गई मंदी!

बीते हफ़्ते ही आईएमएफ़ यानी इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फ़ंड ने कहा था कि मंदी आ चुकी है और इस बार यह 2008 के आर्थिक संकट से अधिक भयावह होगी।
उस समय जार्जीवा ने कहा था कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक मंदी का सबसे बड़ा कारण कोरोना वायरस है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ़ के इतिहास में ऐसा संकट पहले कभी नहीं आया था। उनके मुताबिक़, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि पूरी अर्थव्यवस्था ही ठप हो जाये। 
उन्होंने विकासशील और ग़रीब देशों को चेतावनी दी थी कि वे विशेष तौर पर तैयार रहें, उनके यहाँ आर्थिक संकट विकसित देशों की तुलना में अधिक गहरा हो सकता है। जार्जीवा का कहना है कि ऐसे देशों में स्वास्थ्य सेवायें पहले से ही ख़स्ताहाल में हैं, ऐसे में आर्थिक संकट उनकी कमर तोड़ सकता है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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