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ज़ायडस कैडिला ने तीन चरणों के ट्रायल के बाद आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन किया है। यदि इसे मंजूरी मिलती है तो यह भारत में पाँचवीं वैक्सीन होगी जिसका इस्तेमाल देश में किया जाएगा। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के बाद यह दूसरी वैक्सीन है जो पूरी तरह देश में ही विकसित की गई है।
ज़ायडस कैडिला की यह वैक्सीन तीन खुराकों वाली है और इसे लगाने के लिए सुई की ज़रूरत नहीं होगी। कंपनी ने कहा है कि यह दुनिया की पहली प्लाज़्मिड डीएनए वैक्सीन है और दावा किया है कि यह बच्चों के लिए सुरक्षित है।
ज़ायडस कैडिला ने कहा है कि ट्रायल के अंतरिम परिणाम के अनुसार वैक्सीन कोरोना लक्षण वाले केसों पर 66.6 फ़ीसदी प्रभावी है और मध्यम दर्जे की बीमारी के ख़िलाफ़ 100 फ़ीसदी प्रभावी है। कंपनी ने यह भी कहा है कि यह वैक्सीन 12 से 18 साल के बच्चों के लिए भी सुरक्षित है। हालाँकि इसके आँकड़े अभी तक पीअर-रिव्यू की प्रक्रिया से नहीं गुजरे हैं और न ही ये विज्ञान की किसी प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित किये गये हैं।
कंपनी ने दावा किया है कि इसके आख़िरी चरण के ट्रायल में देश भर के 50 केंद्रों पर 28000 वॉलिंटियर्स को शामिल किया गया। इसने यह भी दावा किया है कि डेल्टा वैरिएंट सहित दूसरे नये म्यूटेंट के ख़िलाफ़ भी यह वैक्सीन प्रभावी है।
कंपनी की ओर से कहा गया है कि इस वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर रखा जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा है कि 25 डिग्री तापमान पर भी यह वैक्सीन कम से कम तीन महीने तक स्थिर यानी कारगर रह सकती है।
भारत में फ़िलहाल चार कंपनियों के टीके को मंजूरी मिल चुकी है। सबसे पहले इस साल की शुरुआत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी मिली थी।
इसके बाद रूस में विकसित और डॉ रेड्डी लेबोरेटरीज द्वारा निर्मित किए जाने वाले स्पुतनिक वी वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी। अभी हाल ही में कुछ दिन पहले मॉडर्ना की वैक्सीन को भी मंजूरी मिली है।
इधर सरकारी पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया को 2-17 वर्ष की आयु के बच्चों पर कोवावैक्स वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल करने की अनुमति नहीं देने की सिफारिश की है। एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार पैनल ने कहा है कि वह पहले व्यस्कों पर ट्रायल पूरा करे।
इस बीच सूत्रों के हवाले से ख़बर आई है कि भारतीय दवा नियामक संस्था ने डॉ रेड्डीज को भारत में स्पुतनिक लाइट के तीसरे चरण का ट्रायल करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
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