सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को योगी आदित्यनाथ सरकार से कहा है कि वह नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों से वसूल की गई रकम को उन्हें वापस लौटाए। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि उसने इस मामले में जारी किए गए वसूली के 274 नोटिसों को वापस ले लिया है।
बता दें कि योगी सरकार की ओर से सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान की भरपाई को लेकर एक कानून बनाया गया था। इसके तहत बड़ी संख्या में लोगों को नोटिस जारी किए गए थे।
इस कानून के मुताबिक किसी को अगर सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया जाता है तो उसे 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है या फिर जेल में जाना पड़ सकता है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार प्रदर्शनकारियों से वसूल की गई सारी रकम को लौटाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि राज्य सरकार को इस बात की अनुमति दी कि वह इस मामले में नई कार्रवाई या नए नोटिस जारी कर सकती है।
इन रिकवरी नोटिस को लेकर तब खासा हंगामा हुआ था और सरकार की आलोचना भी हुई थी। लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को आईना दिखा दिया है तो निश्चित रूप से राज्य सरकार के लिए यह एक जबरदस्त झटका है।
अदालत ने चेताया था
कुछ दिन पहले इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने रिकवरी नोटिस पर कड़ी नाराजगी जताई थी और उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि वह इससे संबंधित कार्रवाई को वापस ले ले। अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो हम इसे खारिज कर देंगे क्योंकि यह नियमों के खिलाफ है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि उसे नियमों का पालन करना ही होगा।
बड़े पैमाने पर हुए थे प्रदर्शन
सीएए के खिलाफ उत्तर प्रदेश में 2019 के आखिरी महीनों में कई दिनों तक जोरदार प्रदर्शन हुए थे। दिल्ली में शाहीन बाग की तर्ज पर कई शहरों में मुसलिम समुदाय के लोगों ने लंबे वक्त तक धरना भी दिया था लेकिन मार्च 2020 में कोरोना महामारी के आने के कारण इन प्रदर्शनों पर विराम लग गया था।
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