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महिला आरक्षण विधेयक आज राज्यसभा में पेश होगा, विपक्ष ओबीसी कोटे पर अडिग

संसद के विशेष सत्र का गुरुवार को चौथा दिन है। लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को भारी बहुमत से पास कर दिया गया। असली परीक्षा राज्यसभा में है। राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं है। लेकिन विपक्षी दलों के रुख से लग रहा है कि राज्यसभा में यह विधेयक पास हो जाएगा। हालांकि विपक्ष इस विधेयक के प्रावधानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को समान लाभ देने और अगले साल के आम चुनाव से पहले इसे लागू करने की मांग कर रहा है।

इस विधेयक के पक्ष में लोकसभा में 454 वोट मिले और इसके खिलाफ केवल दो वोट मिले। इससे साफ है कि विपक्ष ने भी बिल के पक्ष में मतदान किया है। हालांकि लोकसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के पास प्रचंड बहुमत है। इसके अलावा उसे अपने सहयोगियों का भी समर्थन प्राप्त है।

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महिला आरक्षण विधेयक को दशकों की कोशिशों के बाद लोकसभा में मंजूरी मिली है। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2008 में इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया, जहां 2010 में यह पारित हो गया। हालांकि, यह कभी भी लोकसभा में विचार के लिए नहीं पहुंचा था।

महिला आरक्षण विधेयक अपने आप में क्रांतिकारी है लेकिन इसमें भाजपा सरकार द्वारा इसमें जोड़ी गई शर्तों की वडह से यह विधेयक 2029 के बाद ही देश में लागू हो जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में स्पष्ट तौर पर कहा था कि 2024 के चुनाव के बाद जनगणना होगी और फिर परिसीमन के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। लेकिन अमित शाह ने जितने आसान तरीके से इसे बताया है, उतने आसान तरीके से लागू होने में इसे वर्षों लगेंगे। भारतीय महिलाओं को इस विधेयक के कानून बन जाने से इसे तुरंत लागू करने के लिए उम्मीद नहीं बांधनी चाहिए।

महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने के बाद निर्वाचन क्षेत्रों के पहले परिसीमन के बाद ही महिला कोटा लागू किया जा सकता है। ऐसा 2027 में होने की संभावना है, क्योंकि परिसीमन अगली जनगणना के बाद ही किया जाता है। भारत में जनगणना और परिसीमन के पिछले अनुभव बताते हैं कि जनगणना पूरी होने में और उसके बाद परिसीमन होने में पांच वर्ष लगना मामूली बात है।

बुधवार को लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा, "पिछले 13 वर्षों से, भारतीय महिलाएं अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों का इंतजार कर रही हैं और अब उन्हें कुछ और वर्षों - दो साल, चार साल, छह साल, आठ साल इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है।" यानी सोनिया ने साफ कर दिया कि सरकार ने इस विधेयक के कानून बनने के बाद इसे लागू करने की कोई समय सीमा तय नहीं की है। 

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हमला बोला। उन्होंने कहा, ''दो बातें अजीब लगती हैं. एक, यह कि इस विधेयक के लिए आपको नई जनगणना और नए परिसीमन की जरूरत है। जिसमें समय लगेगा। मुझे लगता है कि यह विधेयक आज लागू किया जा सकता है, लेकिन सवाल सरकार की मंशा का है। संसद में टीएमसी, डीएमके समेत तमाम दलों ने इसे फौरन लागू करने की मांग की है। लेकिन सरकार जहां इस विधेयक का ढोल पीट रही है, वहां यह भी कह रही है कि इसे आम चुनाव 2024 के बाद जनगणना और परिसीमन कराने के बाद लागू किया जाएगा। बहुत साफ है कि महिलाओं को तत्काल इसका कोई फायदा नहीं मिलने जा रहा है।

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क़मर वहीद नक़वी
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