राष्ट्रवाद की राजनीति करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राष्ट्रगान को कभी मन से स्वीकार नहीं किया और उसे खारिज करने के लिए हमेशा ही 'वंदे मातरम बनाम जन गण मन' की बहस खड़ी की। संघ साफ़ तौर पर यह कहता आया है कि राष्ट्रगान का असली हक़दार तो वंदे मातरम ही है।
इसे आरएसएस महासचिव भैयाजी जोशी के उस बयान से समझा जा सकता है जिसमें वे बेहद मजबूरी के साथ जन गन मन को स्वीकार करते हुए कहते हैं कि संविधान ने इसे राष्ट्रगान माना है तो हमें इसे सम्मान देना ही होगा, वर्ना देश के लोगोें की भावना तो वंदे मातरम से ही व्यक्त होती है। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान के एक कार्यक्रम भाग लेते हुए कहा, 'जन गण मन कब लिखा गया? यह कुछ समय पहले लिखा गया, उस समय की स्थितियों को देखते हुए लोगों की भावनाओं को इसमें व्यक्त किया गया। पर वंदे मातरम में व्यक्त भावनाएँ राष्ट्र के चरित्र और शैली को व्यक्त करती हैं।' उन्होंने इसके पहले इसी कार्यक्रम में ज़ोर देकर कहा कि संविधान में जिसे राष्ट्रगान माना गया है, उसका सम्मान हमें करना ही होगा। मतलब साफ़ है, संघ मजबूरी में जन गण मन का सम्मान करता है, दिल से नहीं।
आरएसएस का अपना गान है, 'नमस्ते सदा वत्सले'
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने राजस्थान विश्वविद्याल के दीक्षान्त समारोह में भाग लेते हुए जोशी की भावनाएँ ही व्यक्त कीं। उन्होंने कहा, 'जन गण मन अधिनायक किसके लिए है? यह अंग्रेज़ी राज की तारीफ़ में कहा गया है।' उनका समर्थन करते हुए बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिख डाली, जिसमें उन्होने संविधान में संशोधन कर 'अधिनायक' शब्द को निकालने की माँग की। उन्होंने लिखा, 'अधिनायक का अर्थ है तानाशाह, मुझे लगता है कि इसे कभी न कभी निकाल ही दिया जाना चाहिए।'
केरल के पलक्कड में एक स्कूल के एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शिरकत की, जिसमें उनकी मौजूदगी में जन गण मन नहीं, वंदे मातरम गाया गया। इस पर विवाद होने के बाद संघ ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि यह कार्यक्रम हमारा नहीं, स्कूल का था। लेकिन संघ ने वहाँ जन गण मन नहीं गाए जाने से इनकार नहीं किया। ध्यान देने वाली बात है कि जिस स्कूल का वह कार्यक्रम था, वह संघ परिवार से जुड़ी संस्था चलाती है। एक दूसरे कार्यक्रम में भागवत ने कहा, 'हम भारत माता की जय कहना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि पूरी दुनिया ही भारत माता की जय कहे।'
संघ प्रमुख ने अपनी पसंद बता दी, वह भारत माता की जय कहना चाहते हैं, उनकी संस्था के महासचिव मानते हैं कि वंदे मातरम ही राष्ट्र की भावना व्यक्त करता है और संघ परिवार की पार्टी बीजेपी के सांसद राष्ट्र गान में संशोधन की माँग करते हैं।
जन गण मन को लेकर विवाद नया नहीं है। विवाद की शुरुआत जन गण मन के लिखे जाने के कुछ दिन बाद ही हो गई। ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर, 1911 को दिल्ली दरबार में बंगभंग को रद्द करने का एलान कर दिया, जिसके लिए कांग्रेस 1905 से ही आंदोलन चला रही थी। कांग्रेस ने राजा को धन्यवाद देने के लिए कोलकाता में एक कार्यक्रम रखा।
'द इंगलिशमैन' अख़बार ने 28 दिसंबर, 1911 को अपनी ख़बर में लिखा, 'कार्यक्रम की शुरुआत सम्राट के सम्मान में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी एक कविता के गाने से हुई।' द स्टेट्समैन ने इसी दिन ख़बर दी, 'बांग्ला कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने सम्राट के स्वागत में ख़ास तौर पर लिखा गया गाना गाया।'
लेकिन कोलकाता से प्रकाशित बांग्ला अख़बार की ख़बर इससे अलग थी। उसी दिन अमृत बाज़ार पत्रिका ने लिखा, 'कांग्रेस के सत्र की शुरुआत ईश्वर के सम्मान में रवींद्रनाथ टैगोर लिखित एक प्रार्थना के साथ हुई। उसके बाद एक प्रस्ताव पारित कर सम्राट और साम्राज्ञी के प्रति आभार जताया गया। इसके बाद राजा जॉर्ज पंचम के स्वागत में एक दूसरा गाना गया।' समझा जाता है कि विवाद की शुरुआत इसी उलझन से हुई। दरअसल, यह दूसरा गाना हिन्दी में था, जिसे रामभज चौधरी ने लिखा था और उसमें जॉर्ज पंचम की तारीफ़ की गई थी। वह गाना 'बादशाह हमारा' रवींद्रनाथ टैगोर के गाने के बाद गाया गया था।
रवींद्रनाथ टैगोर ने बाद में ख़ुद इस पर सफ़ाई दी। उन्होंने 10 नवंबर, 1937 को पुलिन बिहारी सेन को एक ख़त लिखा। यह ख़त प्रभात कुमार मुखर्जी लिखित 'रवींद्रजीवनी' में शामिल किया गया है। टैगोर ने लिखा, 'सम्राट की सेवा में काम कर रहे एक आला अफ़सर ने, जो मेरे मित्र भी हैं, मुझसे कहा कि मैं सम्राट के स्वागत में एक कविता लिख दूँ। मुझे इस पर बहुत अचरज हुआ। इससे मेरे मन में खलबली मच गई। मैंने घनघोर मानसिक कष्ट के बीच जन गण मन के उस भाग्य विधाता की जीत की घोषणा कर दी जो सपाट रास्तों और घुमावदार मोड़ों के बीच भारत के रथ को अनंत काल से खींचता चला आ रहा है।' टैगोर ने इसी में आगे लिखा:
'सबके भाग्य का मालिक, समस्त भारतीयों के मन को पढ़ने वाला, हमेशा पथ प्रदर्शन करने वाला, किसी सूरत में जॉर्ज पंचम या जॉर्ज षष्टम या कोई और जॉर्ज हो ही नहीं सकता।'
स्वयं कवि के कहने के बाद भी विवाद नहीं थमा तो वे खिन्न हो गए। उन्होंने 13 मार्च 1939 को लिखा, 'जो लोग यह समझते हैं कि मैं मनुष्य के जीवन की अंतिम यात्रा में अनंत काल से रथ चलाने वाली उस सार्वभौमिक सत्ता की तुलना जॉर्ज पंचम से करने की मूर्खता करूँगा, उन्हें जवाब देकर मैं सिर्फ अपने आप को अपमानित करूँगा।'
दरअसल, मूल रूप से टैगोर इस कविता के पाँच पैराग्राफ़ थे। बाद में सिर्फ़ पहले पैराग्राफ़ को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया। टैगोर ने ख़ुद कलम से इन पाँच पैराग्राफ का अंग्रेज़ी अनुवाद किया था।
बाद में इसका अनुवाद दूसरी भाषाओं में भी हुआ। टैगोर ने स्वयं इसका बांग्ला फ़ोनेटिक्स लिखा था।
इसे गाने में चार मिनट से अधिक का समय लगता था। इसे यहां सुना जा सकता है।
सबसे पहले 27 दिसंबर, 1911 को कांग्रेस अधिवेशन मे गाने के बाद यह आदि ब्रह्म समाज के सालाना कार्यक्रम में गाया गया। इसे टैगोर ने स्वयं गाया था। टैगोर के गीत को देख कर नहीं लगता कि वे यह किसी के सम्मान में किसी समारोह में गा रहे हैं।
बाद में इसे ब्रह्म समाज की तत्वबोधिनी पत्रिका में प्रकाशित किया गया, टैगोर ख़ुद इस पत्रिका के संपादक थे। उसके बाद यह धीरे धीरे पूरे देश को स्वीकार्य हो गया। लेकिन इसका विरोध आज वे लोग कर रहे हैं जो एक वैकल्पिक किस्म का राष्ट्रवाद रखते हैं, जिसे वे एक धर्म से जोड़ कर देखते हैं। उस रंगीन चश्मे से देखने की वजह से राष्ट्रवाद की अपनी परिभाषा से ही सब कुछ तय करते हैं। इसमें भला रवींद्रनाथ टैगोर का क्या कसूर!
गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।
नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & Norms व Cancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
'सत्य हिन्दी' के 6 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 180 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 6 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
'सत्य हिन्दी' के 12 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से एक वर्ष के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 12 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
सदस्यता तिथि से एक वर्ष की अवधि में 'सत्य हिन्दी' द्वारा आयोजित हर webinar में भाग लेने के लिए आपको मुफ़्त निमंत्रण। आप प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा।
'सत्य हिन्दी' द्वारा यदि भारत में कुछ विशेष कार्यक्रमों (Ground Events) का आयोजन किया जाता है, तो उनमें से किसी एक कार्यक्रम में भाग लेने का विशेष निमंत्रण (Special Invite)* शर्त लागू: (जब तक कोरोना वायरस के कारण उपजी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाती, तब तक यह सम्भव नहीं होगा।)
विशिष्ट सदस्यता स्मृति चिह्न।**
* स्मृति चिह्न हम केवल भारतीय पते पर ही भेज पायेंगे, विदेश में नहीं। **स्मृति चिह्न सदस्यता लेने की तिथि के 60 दिन बाद भेजा जायेगा।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
सदस्यता तिथि से एक वर्ष की अवधि में 'सत्य हिन्दी' द्वारा आयोजित हर webinar में भाग लेने के लिए आपको मुफ़्त निमंत्रण। आप प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा।
'सत्य हिन्दी' द्वारा यदि भारत में कुछ विशेष कार्यक्रमों (Ground Events) का आयोजन किया जाता है, तो उनमें से किसी एक कार्यक्रम में भाग लेने का विशेष आरक्षित प्रीमियम निमंत्रण (Specially Reserved Premium Invite)* शर्त लागू: (जब तक कोरोना वायरस के कारण उपजी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाती, तब तक यह सम्भव नहीं होगा।)
अति विशिष्ट सदस्यता स्मृति चिह्न।**
** स्मृति चिह्न हम केवल भारतीय पते पर ही भेज पायेंगे, विदेश में नहीं। **स्मृति चिह्न सदस्यता लेने की तिथि के 60 दिन बाद भेजा जायेगा।
This membership is open only to Non Resident Indians (NRI), Persons of Indian Origin (PIO), Overseas citizens of India (OCI) or Indian Citizens currently staying abroad. If you are not belong to any of these categories, please do not proceed.
*Membership will be cancelled if the above declaration is found to be false and Membership Fee will be refunded to the source account which was used to pay it.
अपनी राय बतायें