हिजाब पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को 15 ट्वीट किए और उनके जरिए अपनी बात कही। उन्होंने सरकार पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाते हुए याद दिलाया कि उसने किस तरह आयरलैंड पुलिस में हिजाब की मंजूरी दिए जाने का स्वागत किया था।ओवैसी ने कहा कि वह कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा - मैं हिजाब पर फैसले से असहमत हूं। फैसले से असहमत होना मेरा अधिकार है और मुझे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। ओवैसी ने आशा व्यक्त की कि न केवल ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बल्कि अन्य धार्मिक समूहों के संगठन भी इस फैसले पर अपील करेंगे। क्योंकि इसने मौलिक अधिकारों को सस्पेंड कर दिया है - जिसमें धर्म, संस्कृति, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है।
ओवैसी ने कहा- अगर मेरा यह यकीन है कि मेरे सिर को ढंकना जरूरी है, तो मुझे इसे करने का अधिकार है। धर्म को मानने वाले मुस्लिम के लिए, हिजाब भी इबादत का काम है। यह व्यक्ति और ईश्वर के बीच है। राज्य को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति तभी दी जानी चाहिए जब पूजा के काम दूसरों को नुकसान पहुंचाएं। हिजाब या हेडस्कार्फ़ किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
कोर्ट के फैसले पर अपनी नाराजगी जताते हुए ओवैसी ने कहा, एक बहाने का इस्तेमाल किया जा रहा है कि वर्दी से एकरूपता आएगी। लेकिन कैसे? क्या बच्चों को आपस में पता नहीं चलेगा कि अमीर/गरीब परिवार से कौन है? क्या जाति के नाम पृष्ठभूमि का पता नहीं चलता है? उन्होंने कहा -
ओवैसी ने कहा, यह मुसलमानों पर है तमाम सख्तियों (सलाह, हिजाब, रोजा आदि) का पालन करते हुए शिक्षित होना अल्लाह का आदेश है। अब सरकार लड़कियों को चुनने के लिए मजबूर कर रही है। अब विश्वास और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर क्या बचा है?
उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि इस फैसले का इस्तेमाल हिजाब पहनने वाली महिलाओं के उत्पीड़न को वैध बनाने के लिए नहीं किया जाएगा। अगर बैंकों, अस्पतालों, सार्वजनिक परिवहन आदि में हिजाब पहनने वाली महिलाओं के साथ ऐसा होने लगेगा तो हम निराश ही रहेंगे।
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