सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में पूरे 13 साल बाद आए फ़ैसले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। बरी किए गए लोगों में से ज़्यादातर पुलिसकर्मी हैं। इसमें डीएसपी रैंक के अधिकारी से लेकर कॉन्स्टेबल तक के नाम शामिल हैं। इन सभी पर सोहराबुद्दीन और कौसर बी को लाने, गोली मारने, साज़िश रचने में सहायता करने और गुनहगारों को बचाने के आरोप थे। पढ़िए कौन थे आरोपी और क्या थे मुख्य आरोप।
- डीएसपी मुकेश कुमार लालजी भाई परमार पर आरोप था कि उन्होंने सोहराबुद्दीन और कौसर बी को लाने में मदद और और जान-बूझकर इस मामले में ग़लत जांच की ताकि सही आरोपियों को बचाया जा सके।
- गुजरात एटीएस इंस्पेक्टर नारायण सिंह हरि सिंह धाबी पर आरोप था कि उन्होंने सोहराबुद्दीन पर गोली चलाई थी।
- गुजरात एटीएस के एक और इंस्पेक्टर बालकृष्ण राजेन्द्र प्रसाद चौबे उस वक़्त उस टीम का हिस्सा थे जिस पर सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर का आरोप था।
- राजस्थान पुलिस के इंस्पेक्टर रहमान अब्दुल रशीद खान पर आरोप था कि वह सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर करने वाली टीम का सदस्य थे और उन्होंने भी गोली चलाई थी और अपने हलफ़नामे में ख़ुफिया सूचना होने का दावा किया था।
- राजस्थान पुलिस के सब इंस्पेक्टर हिमांशु सिंह राजावत। इन पर आरोप था कि इन्होंने सोहराबुद्दीन पर गोली चलाई।
- श्यामसिंह जयसिंह चरण भी राजस्थान पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे। सोहराबुद्दीन पर गोली चलाने का आरोप था।
- अजय कुमार भगवानदास परमार गुजरात पुलिस के सिपाही थे और आरोप थे कि सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर करने वाली टीम का सदस्य थे।
- संतराम चंद्रभान शर्मा- गुजरात पुलिस में सिपाही। आरोप था कि सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर करने वाली टीम का सदस्य।
- गुजरात पुलिस के सब-इंस्पेक्टर नरेश विष्णुभाई चौहान पर आरोप था कि कौसर बी को अगवा कर फार्म हाउस में बंद कर रखने और फिर शव को नष्ट करने में मदद की थी।
- विजयकुमार अर्जुभाई राठौड़ गुजरात पुलिस में इंस्पेक्टर। कौसरबी को गायब करने की साज़िश में शामिल होने का आरोप था।
- राजेन्द्रकुमार जीरावला अरहान फार्म हाउस का मालिक।
- घट्टमनेनी श्रीनिवास राव आंध्रप्रदेश पुलिस का सब-इंस्पेक्टर। आरोप था कि सोहराबुद्दीन और कौसर बी को गुजरात तक लाने में मदद की थी।
- गुजरात पुलिस सब-इंस्पेक्टर आशीष अरुणकुमार पंड्या पर आरोप था कि तुलसी प्रजापति पर गोली चलाई।
- इसके अलावा नारायण सिंह फते सिंह चौहान, युवधिरसिंह नाथूसिंह चैहान, करतार सिंह यादराम जाट, जेठू सिंह मोहनसिंह सोलंकी, कानजीभाई नरनभाई कच्छी, विनोदकुमार अमृतकुमार लिम्बाचिया, किरणसिंह हलाजी चौहान, करणसिंह अर्जुनसिंह सिसोदिया आदि भी आरोपी थे।
साल 2014 में ये लोग बरी किए गए थे
तत्कालीन गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह, राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात एटीएस डीआईजी डी. जी. वंजारा, एसपी गुजरात जय कुमार पांडियन, एसपी राजस्थान दिनेश एम एन, गुजरात डीएसपी नरेंद्र अमीन, एसपी गुजरात अभय चुडासमा, डीजीपी गुजरात प्रशांत पांडे, आईजीपी गुजरात गीता जौहरी, एडीजीपी गुजरात ओम प्रकाश माथुर, एसपी गुजरात विपुल अग्रवाल और एसपी आंध्र प्रदेश एन एल बालसुब्रमण्यम जैसे बड़े नाम शामिल थे।
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