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उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत से 'जुड़ा' कफ सिरप घटिया: WHO

जिस कंपनी के कफ सिरप के सेवन के बाद उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर बच्चों की मौत का मामला आया था उस कंपनी के दो कफ सिरप पर गंभीर सवाल उठे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने सिफारिश की है कि नोएडा की कंपनी मैरियन बायोटेक द्वारा बनाए गए दो कफ सिरप का इस्तेमाल उज्बेकिस्तान में बच्चों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित 'घटिया चिकित्सा उत्पाद' ऐसे उत्पाद हैं जो गुणवत्ता मानकों या विशिष्टताओं को पूरा करने में विफल हैं।

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उज़्बेकिस्तान में कफ सिरप से जुड़ा यह मामला पहली बार पिछले महीने आया था। उज़्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया था कि एक भारतीय दवा कंपनी द्वारा निर्मित दवाओं का सेवन करने के बाद देश में कम से कम 18 बच्चों की जान चली गई। उज़्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि मरने वाले बच्चों ने नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित डॉक-1 मैक्स सिरप का सेवन किया था। मंत्रालय ने दावा किया कि अब तक साँस की गंभीर बीमारी वाले 21 में से 18 बच्चों की मौत डॉक-1 मैक्स सिरप लेने के बाद हुई।

वहाँ के मंत्रालय के बयान में कहा गया था, 'यह पाया गया कि मृत बच्चों ने अस्पताल में भर्ती होने से पहले इस दवा को 2-7 दिनों के लिए दिन में 3-4 बार 2.5-5 एमएल लिया, जो बच्चों के लिए दवा की मानक खुराक से अधिक है।'

यह मामला सामने आने के बाद भारत में भी इस मामले की जाँच शुरू की गई। डब्ल्यूएचओ ने उज़्बेकिस्तान के मामले में सहयोग का भरोसा दिया था।

बहरहाल, एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएचओ ने अपनी वेबसाइट पर जारी एक अलर्ट में कहा, 'यह डब्ल्यूएचओ मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट दो घटिया उत्पादों के संदर्भ में है जिसे उज़्बेकिस्तान में पहचाना गया और 22 दिसंबर 2022 को डब्ल्यूएचओ को रिपोर्ट किया गया। घटिया चिकित्सा उत्पाद ऐसे उत्पाद हैं जो गुणवत्ता मानकों या विशिष्टताओं को पूरा करने में विफल होते हैं।'

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उस चेतावनी में कहा गया है, 'ये दो उत्पाद AMBRONOL सिरप और DOK-1 मैक्स सिरप हैं। दोनों उत्पादों के घोषित निर्माता मैरियन बायोटेक है। कथित निर्माता ने इन उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर अब तक डब्ल्यूएचओ को गारंटी नहीं दी है।'

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, उज़्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए कफ सिरप के नमूनों के विश्लेषण में पाया गया कि दोनों उत्पादों में दूषित पदार्थों के रूप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और / या एथिलीन ग्लाइकॉल अस्वीकार्य मात्रा में है।

डब्ल्यूएचओ अलर्ट में कहा गया है, 'संबंधित घटिया उत्पाद असुरक्षित हैं और विशेष रूप से बच्चों में उनके उपयोग से गंभीर नुक़सान या मृत्यु हो सकती है।'

दिसंबर महीने में उज्बेकिस्तान ने आरोप लगाया था कि मैरियन बायोटेक कंपनी की दवाओं का सेवन करने से 18 बच्चों की मौत हो गई। इसके बाद उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने कंपनी का उत्पादन लाइसेंस निलंबित कर दिया था।

हालाँकि उन कफ सिरप के नमूने का परिणाम अभी भी आना बाक़ी है।

बता दें कि कुछ महीने पहले ही गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। गाम्बिया में बच्चों की मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ द्वारा भारतीय फार्मा कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स को लेकर आगाह किया गया था।

डब्ल्यूएचओ के बाद हरियाणा सरकार के ड्रग्स अधिकारियों ने कंपनी की दवा के निर्माण को लेकर पड़ताल की। अधिकारियों ने नियमों के उल्लंघन किए जाने को लेकर नोटिस जारी किया।

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ की ओर से ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को बीती 29 सितंबर को इन कफ सिरप को लेकर अलर्ट भेजा गया था। इसके बाद सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने इस मामले में जाँच शुरू की। 

लेकिन इस मामले में अब भारत के ड्रग कंट्रोलर ने गाम्बिया में हुई मौत को लेकर डब्ल्यूएचओ को पत्र लिखा है। इसने लिखा है कि बच्चों की मौत के लिए भारतीय कंपनी द्वारा निर्मित खाँसी के सिरप को बिना जाँच के ही कठघरे में खड़ा करना सही नहीं है। उसने कहा कि उस कंपनी द्वारा निर्मित खाँसी के चार कफ सिरप के नमूने की जाँच की गई और चारों उत्पाद मानक गुणवत्ता वाले पाए गए हैं।

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