जो विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ कोरोना वायरस को ख़त्म करने में लॉकडाउन को अपर्याप्त बताता रहा है अब उसी डब्ल्यूएचओ के विशेष राजदूत डैविड नाबरो का कहना है कि भारत में लॉकडाउन का फ़ैसला समय से पहले कर अच्छा क़दम उठाया गया है। उन्होंने इसे दूरदर्शी फ़ैसला बताया। एक इंटरव्यू में नाबरो ने कहा कि जब भारत में पॉजिटिव केसों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी तभी लॉकडाउन कर देने से नये वायरस को फैलने से रोकने के लिए समय मिल गया। उन्होंने कहा, 'इसने (लॉकडाउन ने) ट्रांसमिशन को बाधित करने, इसके लिए अस्पतालों को चुनने और स्थानीय स्तर पर क्षमता विकसित करने का समय दिया।'
नाबरो के इस बयान से पहले डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अधानोम ने भारत सहित दुनिया भर में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए उठाए जा रहे लॉकडाउन को अपर्याप्त बताया था। उन्होंने कहा था कि इससे यह महामारी ख़त्म नहीं होगी। इसे ख़त्म करने के लिए आक्रामक उपाए उठाने होंगे। अधानोम का यह संदेश उन देशों के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण है जो ख़ासकर लॉकडाउन पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं और दूसरे उपायों पर उतना ज़्यादा जोर नहीं दे रहे हैं। उन्होंने उन देशों को संदेश देने की कोशिश की थी कि वे लॉकडाउन से इतर दूसरे उपायों पर भी विचार करें।
हालाँकि डब्ल्यूएचओ के विशेष राजदूत नाबरो ने भी कहा कि कोरोना को लेकर लोगों को भविष्य में दूसरे तरीक़ों पर भी विचार करना होगा। उनका यह बयान 'हिंदुस्तान टाइम्स' के साथ एक इंटरव्यू में आया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से भारत को इतना समय मिल गया कि वायरस के तेज़ी से फैलाव को रोके और हॉस्पिटल जैसी व्यवस्था को दुरुस्त कर ले। बता दें कि भारत के स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बेहद बदतर है और इसकी रिपोर्टें भी आ रही हैं। कई जगहों से ऐसी ख़बरें भी आई हैं कि वायरस से बचाव के लिए मास्क, ग्लव्स और कवरॉल जैसी चीजें नहीं होने से डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी कोरोना मरीजों को इलाज करने से डर रहे हैं। आईसीयू बेड, वेंटिलेटर की संख्या जनसंख्या के अनुपात में काफ़ी कम है।
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