वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, ‘भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी गई। मैं उनकी पहचान और फ़ोन नंबर्स को उजागर नहीं कर सकता। मैं यह कह सकता हूँ कि यह कम संख्या नहीं थी।’
एनएसओ समूह और क्यू साइबर टेक्नोलॉजीज के ख़िलाफ़ मुक़दमे में, वॉट्सऐप ने आरोप लगाया था कि इन कंपनियों ने अमेरिका और कैलिफ़ोर्निया के क़ानूनों के साथ-साथ वॉट्सऐप की सेवा की शर्तों का भी उल्लंघन किया है। यह भी दावा किया गया है कि मिस्ड कॉल के जरिये इन लोगों के स्मार्टफ़ोन में घुसकर इन पर नजर रखी गई।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम मानते हैं कि इस हमले ने कम से कम 100 आम लोगों को निशाना बनाया और यह बेहद ख़राब है। यह संख्या बढ़ सकती है क्योंकि और अधिक पीड़ित सामने आ सकते हैं।’
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, एनएसओ समूह ने इस पूरे मामले में सफाई देते हुए कहा है कि वह इन आरोपों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ेगा। समूह ने कहा, ‘हमने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने के लिए तकनीक नहीं बनाई है।’ एनएसओ समूह ने कहा कि इस तकनीक के बारे में मई में पहली बार सवाल खड़े होने पर सितंबर में उसने एक मानवाधिकार नीति लागू की थी।
एनएसओ समूह ने यह भी दावा किया कि पेगासस को सिर्फ़ वैध सरकारी एजेंसियों को ही बेचा जाता है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, इस मामले में प्रतिक्रिया देने के लिये गृह सचिव एके भल्ला और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी सचिव पी. साहनी से ई-मेल, फ़ोन कॉल और मैसेज के जरिये प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
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