जेएनयू में हुई हिंसा में कौन शामिल था, किसके इशारे पर हिंसा हुई, भले ही पुलिस की जाँच में यह अब तक साफ़ नहीं हो पाया हो लेकिन मीडिया में इसे लेकर लगातार नई जानकारियां सामने आ रही हैं। हिंसा के बाद कुछ वॉट्सऐप ग्रुप के चैट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया में वायरल हुए थे। पुलिस इनकी जाँच में जुटी है और इनमें दिख रहे नंबरों पर कॉल करने की तैयारी में है।
'इंडिया टुडे' ने जाँच के बाद यह पाया है कि इन वॉट्सऐप ग्रुप में दिख रहे ज़्यादातर नंबर या तो स्विच ऑफ़ हो गए हैं या जो लोग इन नंबरों का इस्तेमाल कर रहे थे, उन्होंने अपने सिम कार्ड तोड़ दिए हैं। इनमें अधिकांश लोग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े हुए हैं।
इससे पहले अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने ख़बर दी थी कि हिंसा से जुडे़ चैट वाले तीन वॉट्सऐप ग्रुप में एबीवीपी के पूर्व व वर्तमान पदाधिकारी भी शामिल थे। इनमें जेएनयू के चीफ़ प्रॉक्टर विवेकानंद सिंह का भी नाम था। विवेकानंद सिंह एबीवीपी के टिकट पर 2004 में जेएनयू में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके हैं।
एक वॉट्सऐप ग्रुप जिसका स्क्रीनशॉट ख़ासा वायरल हुआ है, उसका नाम है - फ़्रेंड्स ऑफ़ आरएसएस। ‘इंडिया टुडे’ के पास जो इस ग्रुप में हुई चैट का स्क्रीनशॉट है उसमें कई मैसेज ऐसे हैं जिनमें जेएनयू के अंदर हमला करने और बाहरी लोगों को कैसे जेएनयू के अंदर लाया जाए, इसे लेकर योजना बनाने की बात हो रही है।
‘इंडिया टुडे’ के मुताबिक़, इस वॉट्सऐप ग्रुप में शामिल कुछ लोगों की पहचान निधि (जेएनयू की छात्रा और एबीवीपी से जुड़ी), डॉ. रेनू सैनी (आरएसएस से जुड़ी), योगेंद्र भारद्वाज (एबीवीपी से जुड़े), संदीप सिंह (एबीवीपी से जुड़े) और विनायक गुप्ता (एबीवीपी से जुड़े) के रूप में हुई है।
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जब ‘इंडिया टुडे’ ने विनायक गुप्ता से बात की तो उनका फ़ोन स्विच ऑफ़ था और योगेंद्र का फ़ोन नहीं लग रहा था। शायद योगेंद्र ने इस नंबर की सिम मोबाइल से निकाल दी हो या इसे तोड़ दिया हो। ‘इंडिया टुडे’ की ओर से जब बाक़ी दूसरे नंबरों पर कॉल की गई तो कोई जवाब नहीं मिला क्योंकि इनमें से ज़्यादातर नंबर स्विच ऑफ़ थे।
जेएनयू में हुई हिंसा के बाद ऐसे वीडियो सामने आये जिनमें देखा गया कि लगभग 50 नक़ाबपोश लोग हाथों में डंडे लिये हुए जेएनयू के बाहर मौजूद हैं और इस वॉट्सऐप ग्रुप की बातचीत से पता चलता है कि जेएनयू में घुसे नक़ाबपोश बाहरी थे क्योंकि विनायक गुप्ता ने ग्रुप चैट में लिखा है कि डीयू के लोगों की एंट्री खजान सिंह स्विमिंग साइड से करवाइये। इसी तरह के चैट ‘यूनिटी अंगेस्ट लेफ़्ट’ और ‘एबीवीपी’ के ग्रुप में भी हुए थे।
‘मजा आ गया, देशद्रोहियों को मार के’
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने भी ख़बर दी थी कि हिंसा से पहले कुछ वॉट्सऐप ग्रुप में अपील की गई थी कि वे इस विश्वविद्यालय के ‘देशद्रोहियों को बुरी तरह पीटें। और हिंसा के बाद मारपीट पर खुशी जताई गई थी और कहा गया था कि ‘सालों ने गंद मचा रखी थी’। यह भी लिखा था कि ‘अब नहीं मारते तो कब मारते?’ वॉट्सऐप ग्रुप ‘लेफ़्ट टेरर डाउन डाउन’ में किसी ने लिखा था, ‘आज जेएनयू में बहुत मजा आया। मजा आ गया, इन सालों, देशद्रोहियों को मार के।’
हिंसा की शुरुआती जाँच के बाद पुलिस का कहना है कि इसमें वामपंथी और दक्षिणपंथी छात्र संगठनों के छात्र शामिल थे। लेकिन वॉट्सऐप ग्रुप ‘फ़्रेंड्स ऑफ़ आरएसएस’ का चैट बताता है कि दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोग ही बाहरी लोगों को कैंपस के अंदर लाये थे। हालांकि एबीवीपी की ओर से कहा गया है कि उसका इस हिंसा में कोई रोल नहीं है और उसने हिंसा में वामपंथी छात्र संगठनों का हाथ होने का आरोप लगाया है।
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