Delhi: Resident Doctors' Association of All India Institute of Medical Sciences (#AIIMS) holds protest march against violence against doctors in West Bengal. pic.twitter.com/A2TyjiM8PO
— ANI (@ANI) June 17, 2019
Gujarat: Indian Medical Association today has called for a nationwide strike of doctors in the wake of violence against doctors in West Bengal; Doctors at Sir Sayajirao General Hospital in Vadodara hold protest outside Out Patient Department pic.twitter.com/Ya6NS3CE3x
— ANI (@ANI) June 17, 2019
डॉक्टरों की माँग है कि मेडिकल के पेशे से जुड़े लोगों के साथ होने वाली हिंसा से निपटने के लिए केंद्रीय स्तर पर क़ानून बनाया जाए और उनकी सुरक्षा की पूरी ज़िम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार हड़ताली डॉक्टरों के ख़िलाफ़ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करेगी। ममता ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को पाँच घंटे और शनिवार को तीन घंटे तक जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल के आने का इंतजार किया। लेकिन वे लोग नहीं आए। ममता ने कहा था कि सरकार ने पाँच दिन की हड़ताल के बावजूद एस्मा (एसेंशल सर्विसेज मेंटिनेंस एक्ट) नहीं लगाया है।
एनआरएस मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान 75 वर्षीय बुजुर्ग की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर हमला कर दिया था। इस हमले में दो डॉक्टर घायल हो गए थे, जिनमें से एक की हालत गंभीर है। इस हमले के विरोध में डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी थी।
डॉक्टरों ने दिए थे इस्तीफ़े
बता दें कि ममता बनर्जी की चेतावनी से ग़ुस्साए एनआरएस मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल ने तुरंत इस्तीफ़ा दे दिया था। कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड सागर दत्त हॉस्पिटल के भी 21 सीनियर डॉक्टरों ने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था। इसके बाद शुक्रवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 107 डॉक्टरों ने इस्तीफ़ा देने का एलान कर दिया था। यह विरोध और तेज़ हो गया था और मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल से 100, एसएसकेएम से 175, चितरंजन नेशनल मेडिकल कॉलेज से 16 और एनआरएस मेडिकल कॉलेज से 100 और स्कूल ऑफ़ ट्रॉपिकल मेडिसन से 33 डॉक्टरों ने इस्तीफ़ा दे दिया था। इस्तीफ़ा देने वालों में कई विभागों के प्रमुख और सीनियर डॉक्टर भी शामिल थे।डॉक्टरों की हड़ताल को बढ़ते देख शुक्रवार की शाम को ही तृणमूल के नेता अपनी अकड़ से पीछे हटने लगे थे। बंगाल सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी और पार्टी ने नेता फिरहाद हाकिम ने डॉक्टरों के समर्थन में बयान देते हुए उनके ख़िलाफ़ हुई हिंसा की निंदा की थी और उन्होंने डॉक्टरों से कहा था कि वे काम पर वापस लौट जाएँ।
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दायर एक याचिका में देशभर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की माँग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि प्रदर्शनों के कारण, देश में स्वास्थ्य सेवाएँ बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं और डॉक्टरों की अनुपस्थिति से कई लोगों की मौत हो रही है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा।
अपनी राय बतायें