ट्विटर और भारत सरकार के बीच चल रहे संग्राम के बीच सरकार ने कहा है कि अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई हिंसा और गणतंत्र दिवस के दिन लाल क़िले पर हुई हिंसा के मामले में ट्विटर का रूख़ अलग है।
आईटी मंत्रालय और ट्विटर के अफ़सरों के बीच बुधवार को दो घंटे तक चली वर्चुअल बैठक में सरकार की ओर से कहा गया कि ट्विटर ऐसे लोगों के पक्ष में है जो अभिव्यक्ति की आज़ादी का दुरुपयोग करते हैं और सरकार के आदेशों के ख़िलाफ़ अशांति का माहौल बनाते हैं।
बैठक में ट्विटर के अफ़सरों के सामने farmer genocide वाले हैशटैग के इस्तेमाल का मुद्दा सरकार की ओर से रखा गया। सरकार के इस बारे में आदेश देने के बाद भी जिस तरह की कार्रवाई ट्विटर ने की, उसे लेकर नाराज़गी जताई गई। बैठक में क्या बातचीत हुई, सरकार की ओर से इस बारे में बयान जारी किया गया है।
सरकार ने ट्विटर से कहा कि कि ग़लत हैशटैग को लगाकर अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं और इससे हालात और बिगड़ सकते हैं। केंद्र ने यह भी कहा कि न तो यह पत्रकारिता की आज़ादी के तहत आता है और न ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के। केंद्र ने कहा कि उसकी ओर से इस बारे में ध्यान दिलाए जाने के बाद भी ट्विटर ने इस तरह के कंटेंट को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर जारी रखा जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
टूलकिट का मुद्दा उठा
आईटी मंत्रालय के सचिव अजय प्रकाश साहनी ने इस दौरान टूलकिट को लेकर कहा कि यह इस बात का सबूत है कि किसान आंदोलन को लेकर विदेशों में सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है और इस अभियान को चलाने के लिए ट्विटर के प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल हो रहा है। सचिव ने कहा कि इससे भारत में अशांति का माहौल बन रहा है और ट्विटर को भारत विरोधी अभियान के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए।
यहां बात उस टूलकिट की हो रही है जिसे पर्यावरणविद ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) ने ट्विटर पर शेयर किया था लेकिन बाद में उसे डिलीट कर अपडेटेड टूलकिट को ट्वीट किया था। दिल्ली पुलिस ने टूलकिट को बनाने वाले के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी और इस मामले में जांच जारी है।
आईटी मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एक व्यावसायिक इकाई के रूप में भारत में ट्विटर का स्वागत है लेकिन उसे भारत के क़ानून और लोकतांत्रिक संस्थाओं का हर हाल में सम्मान करना होगा।
बयान के मुताबिक़, सोशल मीडिया कंपनी से कहा गया है कि उसने सरकार के आदेश का पालन करने में देरी की। बैठक में ट्विटर ने भारत के क़ानून और नियमों का पालन करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई।
इससे पहले बुधवार को ट्विटर ने कहा था कि उसने आईटी मंत्रालय के नोटिस पर 500 से ज़्यादा अकाउंट्स को सस्पेंड किया है। हालांकि उसने यह भी कहा था कि उसने न्यूज़ मीडिया से जुड़े, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और नेताओं के अकाउंट्स के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की है।
सोशल मीडिया कंपनी ने इसके पीछे कारण दिया था कि ऐसा करना भारत के क़ानून के मुताबिक़, अभिव्यक्ति की आज़ादी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। ट्विटर ने कहा था कि वह अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करता रहेगा।
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद भारत सरकार के कहने पर ट्विटर के कुछ अकाउंट्स पर भारत में एक्टिव होने पर रोक लगा दी थी। लेकिन जब इसकी आलोचना हुई तो कुछ ही घंटों बाद सभी अकाउंट्स को बहाल कर दिया गया था।
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