सात राज्यों के 13 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के लिए मतदान बुधवार सुबह 7 बजे शुरू हुआ। लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार यह चुनावी कवायद हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर सहित कई दिग्गजों और नए लोगों के भाग्य का फैसला करेगी। नतीजे 13 जुलाई को घोषित किए जाएंगे। जिन विधानसभा सीटों पर बुधवार को वोट डाले जा रहे हैं, उनमें बिहार की- रुपौली, पश्चिम बंगाल की- रायगंज, राणाघाट दक्षिण, बगदाह, मानिकतला, तमिलनाडु की विक्रवांडी, मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा, उत्तराखंड की बद्रीनाथ, मंगलौर, पंजाब की जालंधर पश्चिम, हिमाचल प्रदेश की देहरा, हमीरपुर, नालागढ़ सीटें हैं।
बिहार की रूपौली सीट बीमा भारती के पास थी, जिन्होंने पूर्णिया संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मार्च में जनता दल (यूनाइटेड) से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में शामिल हो गईं। हालांकि, वह निर्दलीय उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से हार गईं। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के बाद, एनडीए और बिहार में INDIA गठबंधन फिर से एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। जेडीयू ने कलाधर मंडल को मैदान में उतारा है, जबकि आरजेडी ने बीमा भारती को फिर टिकट दिया है। बीमा भारती ने अब पप्पू यादव से उनका समर्थन मांगा। विशेष रूप से, बीमा भारती और कलाधर मंडल दोनों गंगोटा जाति से आते हैं, जिसकी रूपौली विधानसभा सीट में सबसे अधिक आबादी है। आऱजेडी के लिए यह सीट आसान नहीं है। यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद कालाधर मंडल के लिए चुनाव प्रचार किया और सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है।
बंगाल में 4 सीटें
पश्चिम बंगाल में चार सीटों- मानिकतला, रायगंज, राणाघाट दक्षिण और बागदाह विधानसभा क्षेत्रों में भी 10 जुलाई को उपचुनाव है। इनमें से तीन विधानसभा क्षेत्रों- रायगंज, राणाघाट दक्षिण और बागदाह में भाजपा विधायकों ने पार्टी बदल ली और टीएमसी में शामिल हो गए और लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हार गए। .
विधानसभा क्षेत्र मानिकतला, पारंपरिक रूप से कांग्रेस की सीट रही है। लेकिन हाल के चुनावों में टीएमसी का गढ़ बन चुकी है। 20 फरवरी, 2022 को तृणमूल विधायक और बंगाल के मंत्री साधन पांडे की मृत्यु के बाद यह सीट खाली है। हालांकि, पांडे की मृत्यु के महीनों बाद भी इस सीट पर उपचुनाव नहीं हो सका, क्योंकि भाजपा उम्मीदवार कल्याण चौबे ने मतदान में अनियमितता का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी। 2021 के चुनावों के दौरान और वोटों की दोबारा गिनती की मांग की। इससे यहां उपचुनाव नहीं हो सका था।
बगदाह विधानसभा सीट उत्तर 24 परगना में आती है, जहां बीजेपी ने 2021 में जीत हासिल की थी। हालांकि, जीतने वाले उम्मीदवार बिस्वजीत दास फिर से टीएमसी में वापस चले गए। बिस्वजीत दास 2021 विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। हालाँकि, अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीट बगदाह से चुने जाने के बाद, वह टीएमसी में लौट आए।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, एक अन्य भाजपा विधायक, मुकुट मणि अधिकारी, टीएमसी में शामिल हो गए और उन्हें राणाघाट सीट के लिए उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया, लेकिन वह भाजपा के मौजूदा सांसद, जगन्नाथ सरकार से हार गए। वह भाजपा के मनोज कुमार विश्वास के खिलाफ टीएमसी के उम्मीदवार के रूप में फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। राणाघाट दक्षिण, जो नादिया जिले की एक एससी आरक्षित सीट है, में भी मतुआ समुदाय की अच्छी-खासी मौजूदगी है।
हिमाचल में 3 सीटें
हिमाचल प्रदेश में इन तीनों सीटों को अगर भाजपा जीत भी लेती है तो भी राज्य की कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है। विपक्षी भाजपा को 10 जुलाई को तीन विधानसभा उपचुनावों में अप्रत्याशित लाभ की उम्मीद है। हिमाचल में भाजपा ने दो अलग-अलग मौकों पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को गिराने की कोशिश की है। पार्टी को अब उपचुनावों से काफी उम्मीदें हैं, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता जय राम ठाकुर ने दावा किया है कि उपचुनाव के नतीजे राज्य की "राजनीति को हिला देंगे"।
राज्य में कमल खिलाने की कोशिशें नाकाम रहीं। जब कांग्रेस के छह विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी। हालांकि दोनों दलों में बराबरी की स्थिति थी क्योंकि कांग्रेस और भाजपा दोनों के पास 34-34 वोट थे। स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने पाला बदलने वाले कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया, जिसका बीजेपी को कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि कांग्रेस विधायक अब सदन के सदस्य नहीं रहे।
जहां तीन विधानसभा क्षेत्रों को जीतने से विधानसभा में कांग्रेस की ताकत मजबूत होगी, वहीं भाजपा अपनी ताकत 30 तक ले जाने की कोशिश करेगी। लेकिन, पहाड़ी राज्य में सरकार बनाने के लिए संख्या अभी भी भाजपा के लिए पर्याप्त नहीं होगी।
उत्तराखंड की दो सीटें
उत्तरखंड में बद्रीनाथ और मंगलौर में उपचुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के मार्च में इस्तीफा देने और भाजपा में शामिल होने के बाद बद्रीनाथ विधानसभा सीट खाली हो गई थी। बद्रीनाथ, पौडी गढ़वाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, जो आध्यात्मिक और सामरिक दोनों महत्व रखता है। इसमें चार धाम तीर्थस्थल और जोशीमठ शामिल है, जो हाल ही में जमीन धंसने के कारण सुर्खियों में आया था।बद्रीनाथ सीट पर मुख्य रूप से भाजपा के राजेंद्र भंडारी और कांग्रेस के लखपत सिंह भुटोला के बीच मुकाबला है। कानून में स्नातकोत्तर भूतोला, चमोली के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। अन्य उम्मीदवारों में सैनिक समाज पार्टी से हिम्मत सिंह नेगी, पूर्व पत्रकार नवल किशोर खाली और उत्तराखंड क्रांति दल से बच्ची राम उनियाल शामिल हैं, जिसने उत्तराखंड के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अमरवाड़ा पर भाजपा की नजरः छिंदवाड़ा लोकसभा सीट जीतने के बाद भाजपा का लक्ष्य इस विधानसभा सीट पर भी कब्जा करना है, वहीं कांग्रेस और कमलनाथ अपनी लोकसभा हार का बदला लेने के मूड में हैं। अमरवाड़ा में भी 10 जुलाई को उपचुनाव है। यह उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। पिछले साल विधानसभा चुनाव में 164 सीटें जीतने के बावजूद, भाजपा को छिंदवाड़ा जिले की सभी 7 सीटों पर हार का स्वाद चखना पड़ा, जिसमें अमरवाड़ा विधानसभा सीट भी शामिल थी, जहां कांग्रेस के कमलेश शाह विजयी हुए थे। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले कमलेश शाह बीजेपी में शामिल हो गए थे, जो कांग्रेस के लिए बड़ा झटका था। विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए अमरवाड़ा सीट को रिक्त घोषित कर दिया था।
जालंधर पश्चिम से कौनः पंजाब की इस सीट पर आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री भगवंत मान दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है। कांग्रेस ने भी पूरी ताकत लगा दी है। सत्तारूढ़ आप, जो हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में सिर्फ तीन सीटें हासिल कर पाई, ने इस सीट को बरकरार रखना प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। पूर्व विधायक शीतल अंगुराल के इस्तीफे से यह सीट खाली हुई है। वही अब भाजपा उम्मीदवार हैं। भगवंत मान आप उम्मीदवार मोहिंदर भगत के लिए सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं और उन्होंने जालंधर में आवास किराए पर लिया है। उन्होंने मतदाताओं से वादा किया है कि वह दोआबा क्षेत्र के लोगों की शिकायतों को दूर करने के लिए प्रति सप्ताह 3-4 दिन यहां बिताएंगे, इसके अलावा भगत के जीतने पर उन्हें मंत्री पद देने का भी संकेत दिया है।
विक्रवांडी में जीत सकती है डीएमके
तमिलनाडु में विक्रवांडी उपचुनाव में मुख्य विपक्षी दल एआईएडीएमके के मैदान से बाहर रहने के कारण, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को आसान जीत का भरोसा है, जबकि मैदान में एनडीए के सहयोगी पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) और नाम तमिलर काची (एनटीके) भी हैं। एआईएडीएमके ने विक्रवांडी क्षेत्र में उपचुनाव का बहिष्कार इसलिए किया है, क्योंकि उसका मानना है कि चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से नहीं कराए जा रहे हैं।
कुल 2,34,624 मतदाताओं वाला विक्रवंडी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 6 अप्रैल, 2024 को डीएमके विधायक एन पुगाझेंथी के निधन के बाद खाली हो गया। डीएमके अपने उम्मीदवार अन्नियुर शिवा के लिए भारी जीत की उम्मीद कर रही है। एनडीए की सहयोगी पीएमके ने सी अंबुमणि को उम्मीदवार बनाया है, जबकि लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में पहचान हासिल करने वाली तमिल समर्थक पार्टी एनटीके ने डॉ. अभिनय को मैदान में उतारा है। तीनों उम्मीदवार वन्नियार समुदाय से हैं। मतदाताओं को सभी दलों की ओर से उपहार बांटे गए हैं।पीएमके और एनटीके को वोट शेयर में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, लेकिन दलित वोट अभी भी पूरी तरह से डीएमके के पक्ष में हैं।
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