क्या है मामला
आरोप है कि एनजीओ चिलूम ने बेंगलुरु में हजारों मतदाताओं से व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करने के लिए अपने फील्ड एजेंटों को सरकारी अधिकारियों के रूप में पेश किया। उन्हें बीएलओ कार्ड दिए गए थे। डेटा चोरी को एक सरकारी आदेश द्वारा वैध बनाया गया था। जिसके तहत एनजीओ को मतदाता अधिकारों और मतदाता सूची के संशोधन के बारे में "जागरूकता पैदा करने" की अनुमति दी गई थी। लेकिन उसने मतदाताओं का व्यक्तिगत और प्राइवेट डेटा हासिल कर लिया।एनजीओ घर-घर जाकर कथित तौर पर व्यक्तिगत विवरण - जाति, शिक्षा, मातृभाषा, आधार और अन्य विवरण एकत्र करती थी। एनजीओ ने अपने कर्मचारियों को बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के रूप में भेजा था। जबकि बीएलओ एक सरकारी अधिकारी होता है।
पुलिस ने रविवार को जिस मुख्य सॉफ्टवेयर डेवलपर को हिरासत में लिया, वो मतदाताओं के डेटा को रिकॉर्ड करता था।
बेंगलुरु सेंट्रल डिवीजन के डीसीपी श्रीनिवास गौड़ा ने बताया कि कौन सा डेटा एकत्र किया गया था और यह किसके लिए था, संबंधित ऐप का विश्लेषण पुलिस कर रही है। ऐप और उसके एप्लिकेशन के उद्देश्य का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर डेवलपर से पूछताछ की जा रही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चिलूम एजुकेशनल कल्चरल एंड रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट के तीन लोगों को वोटर डेटा चोरी के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके संस्थापक-डायरेक्टर रवि कुमार फरार हैं। पुलिस जांच दल ने कहा कि उन्होंने ट्रस्ट के एचआर धरणेश और निदेशकों में से एक रेणुका प्रसाद और कुमार के भाई केम्पेगौड़ा को गिरफ्तार किया है।
डीसीपी आर श्रीनिवास गौड़ा ने कहा कि 'डिजिटल समीक्षा' ऐप को अनलॉक किया गया है, इसके बाद और जानकारी सामने आएगी। गौड़ा के मुताबिक मल्लेश्वरम में ट्रस्ट के कार्यालय सहित चिलूम से जुड़े विभिन्न स्थानों पर छापा मारा और दस्तावेज जब्त किए।हमने महादेवपुरा ज़ोन से संबंधित सभी अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया था और उनके विस्तृत बयान दर्ज किए हैं। उनसे पूछा गया कि किस आधार पर उन्होंने आरोपी एनजीओ के कर्मचारियों को बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ) कार्ड जारी किए।
कांग्रेस ने उठाया मामले को
मतदाताओं का डेटा चोरी होने के मामले को सबसे पहले कांग्रेस ने उठाया। कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि बंगलुरु नगर निगम ने एक प्राइवेट एनजीओ को बीएलओ के कार्ड जारी करते हुए वोटरों के डेटा जुटाने का काम सौंपा। इन लोगों को मतदाता सूची सौंप दी गई। आरोप है कि इन लोगों ने मतदाताओं की तमाम व्यक्तिगत जानकारियां जुटा लीं। मतदाता सूची में अपडेट के लिए जो सूचनाएं नहीं जुटाई जातीं, उसके अतिरिक्त भी इस एनजीओ के लोगों ने मतदाताओं से पूरे घर-परिवार की सूचनाएं हासिल कर लीं।“
क्या बीजेपी सरकार अपने भ्रष्ट मंत्रियों के एक एजेंट को फंसाने से बचाने की कोशिश कर रही है।
- सिद्धरमैया, पूर्व सीएम कर्नाटक
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सरकार न्यायिक जांच शुरू करने से क्यों डरती है? @BSBommai मामले को रफा-दफा करने की जल्दी में क्यों है? यह लोकतंत्र पर एक धब्बा है क्योंकि बीजेपी आम लोगों की प्राइवेसी का उल्लंघन करती है। @BSBommai और उनके मंत्रिमंडल को लोगों को धोखा देने के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए।
- सिद्धरमैया, पूर्व सीएम कर्नाटक
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