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हिंसा प्रिय समाज गिन रहा अपने अंतिम दिन: मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिंसा से किसी का भी भला नहीं होता है और हिंसा प्रिय समाज अपने अंतिम दिन गिन रहा है। उन्होंने सभी समुदायों को साथ लाने पर जोर दिया है और कहा है कि मानवता की रक्षा की जानी चाहिए। 

मोहन भागवत गुरुवार को महाराष्ट्र के अमरावती में साईं राजेश लाल मोर्डिया के गद्दीनशीन होने के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अपनी बात रख रहे थे। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सिंधी समुदाय के लोग मौजूद थे।

कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा, “हमारी बातें गलत हैं, किसी दूसरे का विरोध करती हैं, दुनिया में अशांति लाने वाली हैं तो फिर हमारे लिए यह समय मर्यादित है।” 

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भागवत ने देश में सिंधी यूनिवर्सिटी बनाए जाने और सिंधी भाषा और संस्कृति को बचाने की जरूरत पर जोर दिया। 

संघ प्रमुख ने अपने इस भाषण में अहिंसा पर जोर दिया और बीते कुछ दिनों में रामनवमी के मौके पर तमाम राज्यों में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर उनका यह भाषण काफी अहम है। लेकिन उनका यह कहना कि हिंसा प्रिय समाज अपने अंतिम दिन गिन रहा है, इसे लेकर एक बार फिर तमाम तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। चर्चा इस बात की है कि आखिर मोहन भागवत ने यह बात किस समाज के लिए कही है।

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अखंड भारत वाला बयान 

संघ प्रमुख ने कुछ दिन पहले कहा था कि 15 साल में भारत अखंड बन जाएगा और कोई इसे रोकने वाला नहीं है। उन्होंने कहा था कि जो भी कोई इसके रास्ते में आएगा वह मिट जाएगा। उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर काफी चर्चा हुई थी।

शिवसेना ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि 15 साल में नहीं 15 दिन में अखंड भारत बनाया जाना चाहिए और संघ प्रमुख को ऐसा करने से कौन रोक रहा है।

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क़मर वहीद नक़वी
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